भोपाल। मध्य प्रदेश की देवास प्रेस में हर दिन 90 लाख नए नोट छापे जा रहे हैं। लेकिन 500 और 2000 रुपए के ये नए नोट मेड इन इंडिया नहीं है। इसमें इस्तेमाल किया गया कागज और धागा विदेश से आयात किया गया है। कागज ब्रिटेन से तो धागा इटली, यूक्रेन और यूके से मंगवाया गया है। हालांकि, इसकी छपाई भारत में ही हो रही है।
नोट की बढ़ती मांग के कारण प्रेसों के पास मौजूद पेपर शुरुआती एक सप्ताह में ही समाप्त हो गया। इसके बाद ब्रिटेन से कागज मंगवाया गया। इसके अलावा सिक्योरिटी थ्रेड(धागा) से लेकर इंक भी अन्य देशों से मंगवाए गए।
कहां, कितनी छपाई
– 90 लाख नोटों की देवास प्रेस में रोजाना छपाई हो रही है
– 90 लाख नोट नासिक प्रेस में रोज छापे जा रहे हैं
– 4 करोड़ नोट मैसूर की प्रेस में रोजाना छापे जा रहे
– 4 करोड़ नोट बंगाल की सलोबनी प्रेस में छापे जा रहे हैं
किस प्रेस में कितना मैटेरियल लगा
आरबीआई की देशभर में चार प्रिंटिंग प्रेस हैं। इन चारों जगहों पर तीन शिफ्ट में नोट छापने का काम चल रहा है। आरबीआई ने होशंगाबाद की पेपर मिल से 1.6 करोड़ टन पेपर खरीदा था।
अब मैटेरियल की कमी नहीं है। छपाई का काम तेजी से चल रहा है। अगले पांच महीनों में बाजार में कैश को लेकर हालात सामान्य हो जाएंगे।
विपिन मलिक, निदेशक, आरबीआई सेंट्रल बोर्ड
अधिक मांग से बिगड़े हालात
दरअसल, नोटबंदी के बाद जिस तरह से देशभर में कैश की किल्लत हुई, उसकी भरपाई के लिए आरबीआई के आदेश पर देश के सभी नोट प्रिंटिंग प्रेस में बड़े पैमाने पर नोटों की छपाई चल रही है। प्रिंटिंग प्रेस में 24 घंटे काम हो रहा है। लेकिन अधिक नोट की छपाई के फैसले से इसमें इस्तेमाल होने वाला मैटेरियल यानी कागज और धागा कम पड़ गया।
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