हुक्के से ये नुकसान
— ब्रॉन्कियल अस्थमा का हुक्का पीने वालों को सबसे ज्यादा खतरा होता है।
— इन्फेक्शन : कई लोग एक ही हुक्के को मुंह लगाते हैं। इन्फेक्शन हो सकता है।
— पेरियोडोंटल डिसीज ब्लड प्लाज्मा, लार,यूरिन में कॉन्टिनिन की मात्रा बढ़
जाती है।
— निकोटिन एडिक्शन सिगरेट-बीड़ी की तरह हुक्का भी लत बन जाता है।
70 प्रतिशत ज्यादा निकोटिन
हुक्का सेशन करीब 45 मिनट का होता है. इसमें पीनेवाले एक सिगरेट से 36 गुना ज्यादा टार और 70 प्रतिशत ज्यादा निकोटिन निगल जाते हैं। हुक्के के कुछ फ्लेवर में तंबाकू नहीं होता। केमिकल्स और फ्लेवर डालने की वजह से ये काफी खतरनाक होते हैं। इन्हें चारकोल से जलाया जाता है, जिससे फेफड़ों में कार्बन मोनोऑक्साइड जाती है और इससे कैंसर हो सकता है। साथ ही हुक्के में एक पॉट के पाइप से कई लोग हुक्का पीते हैं। इससे कोविड और स्वाइन फ्लू जैसे वायरस का भी खतरा बढ़ जाता है।
पकड़े गए तो सिर्फ 800 रुपए जुर्माना
हुक्का बार के लिए लाइसेंस का प्रावधान नहीं है। गुमाश्ता और नगर निगम से व्यावसायिक लाइसेंस लेकर इनकी आड़ में हुक्का बार चलाए जा रहे हैं। सिगरेट व तंबाकू उत्पाद वितरण विनियम अधिनियम के तहत धारा 4, 21(2) एवं 24 के तहत कार्रवाई करती है। इस प्रावधान में हुक्का पीने-पिलाने वाले को महज 500 से 800 रुपए के जुर्माने पर छोड़ दिया जाता है। थाने से मुचलके पर जमानत मिल जाती है। सख्त कानून नहीं होने से संचालक वापस नशे का धंधा चालू कर देते हैं।
कोचिंग जानेवाले युवा शिकार बन रहे – एमपी नगर पुलिस ने कार्रवाई तो की लेकिन अभी भी कई जगहों पर युवा खुलेआम हुक्का पी रहे हैं। कोचिंग जानेवाले युवा इसके शिकार बन रहे हैं.ब्लैक एंड वाइट कैफे में नाबालिग किशोरों द्वारा हुक्का पीने के फोटो वायरल होने के बाद एमपी नगर पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। इससे पहले भी एमपी नगर थाना क्षेत्र के अंतर्गत लिक्विड बार में अनियमितताओं का मामला सामने आया था। एमपी नगर सबसे बड़ा कोचिंग हब है जोकि अब अवैध गतिविधियों का अड्डा बनते जा रहा है.