स्कूल शिक्षा और जनजातीय कार्य विभाग द्वारा नवनियुक्त शिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम शिवराज ने कहा कि, प्रदेश के स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को शैक्षणिक गुणवत्ता तय करने के लिए शासकीय स्कूलों के साथ शासकीय मान्यता प्राप्त सभी निजी और अनुदान प्राप्त स्कूलों में 5वीं और 8वीं की परीक्षा बोर्ड पैटर्न पर ही ली जाएगी। यही नहीं, इन स्कूलों में आंतरिक मूल्यांकन भी नियमित रूप से तय कराया जाएगा। बच्चों का भविष्य गढ़ने का दायित्व शिक्षकों पर होता है। शिक्षकों के सम्मान और उन्हें प्रणाम करने के उद्देश्य से ही इस कार्यक्रम को आयोजित किया गया है।
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सीएम ने दिलाया शिक्षकों को प्रण
यही नहीं सीएम ने ये भी कहा कहा कि, राज्य शासन शिक्षकों का सम्मान बनाए रखने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा। कौशल शिक्षा के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पर्याप्त प्रावधान है। विद्यार्थियों को नागरिकता के संस्कार देना सबसे ज्यादा जरूरी है। शिक्षकों को ये प्रण लेना होगा कि, उनके विद्यार्थी, देश भक्त, चरित्रवान, ईमानदार, कर्त्तव्य परायण, दूसरों की चिंता करने वाले, बालिकाओं और महिलाओं के प्रति सम्मान रखने वाले, माता-पिता का आदर करने वाले और असहायों की मदद करने वाले बनेंगे। उन्होंने स्वामी विवेकानंद, डॉ. राधाकृष्णनन और डॉ. भीमराव अम्बेडकर के प्रेरक प्रसंगों के माध्यम से शिक्षण प्रक्रिया के व्यवहारिक बिंदुओं का उल्लेख किया।
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