नौकरी छोड़कर लौट रहे घर
किसानों के उच्च शिक्षित बेटा-बेटी भी नौकरी छोड़कर घर लौट रहे हैं। बता दें कि अगदयति हब्र्स एंड फूड नामक इस स्टार्टअप से जुड़े 2000 से अधिक किसानों के बच्चों ने ऊंची डिग्रियां भी ली हैं। इनमें से कुछ बच्चे विदेशों तक में नौकरी कर रहे हैं, लेकिन अब उन्होंने पिता की तरह ही स्टार्टअप से जुडने की ठान ली है।
16 तरह के प्रोडक्ट जल्द होंगे लांच
समूह लगातार सदस्यों की संख्या बढ़ाने का प्रयास कर रहा है। इसके लिए एग्रीकल्चर कॉलेजों में पढ़ रहे विद्यार्थियों को इस तरह की खेती से जुडने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। स्टार्टअप समूह स्टीविया, हल्दी, मिर्ची, धनिया आदि मसालों के अलावा 16 तरह के प्रोडक्ट सफेद मूसली, अश्वगंधा, सतावर, हर्रा बहेड़ा, अर्जुन छाल आदि का पावडर भी लांच करने वाला है।
…ताकि कमा सकें विदेशी मुद्रा
महाकौशल के 53 वर्षीय किसान और स्टार्टअप के अगुवा अंबिका प्रसाद पटेल ने बताया, अब लक्ष्य तय किया गया है कि समूह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करे और विदेशी मुद्रा कमाए। तीन साल में स्टार्टअप को 100 करोड़ से अधिक का समूह बनाना है, जिसे हम समय से पहले ही पूरा कर लेंगे। अभी सात-आठ करोड़ का टर्नओवर है। समूह की रूस, दक्षिण अफ्रीका, उज्बेकिस्तान, तंजानिया के प्रतिनिधियों से चर्चा हो चुकी है। रूस को स्टीविया व हल्दी, अफ्रीका व उज्बेकिस्तान को हल्दी समेत सभी जैविक उत्पाद और तंजानिया को हर्ब और मसाले चाहिए। रूस के प्रतिनिधियों ने 26 जनवरी 2023 को अंबिका के फार्म पर आकर झंडा वंदन किया और सैंपल लिए। साथ ही बड़े ऑर्डर के लिए तैयार रहने कहा था।
ये देश खरीद रहे हमारे ऑर्गेनिक प्रोडक्ट – रूस, उज्बेकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका, तंजानिया।
स्टार्टप के सदस्य चलाते हैं, इस तरह के अनूठे अभियान
1. स्टार्टअप के सदस्य प्रदेशभर की नदियों के दोनों किनारों पर अर्जुनछाल के पौधे लगा रहे हैं।
2. मानव को सबकुछ वनों से मिला, इसलिए मानसून के समय एक मुऋी अनाज, औषधि और फलों के बीज फेंकन का अभियान।
3. गाय क बिना ऑर्गेनिक खेती संभव नहीं। इसलिए नस्ल सुधार के कार्यक्रम से दूध देने की क्षमता बढ़ाना और नरों की संख्या को नियंत्रित करना।
4. बंजर भूमि पर घास लगाना, ताकि उसकी उत्पादकता बढ़े।
5. खुले में छोड़ी गाय को ट्रक ने रौंदा तो उससे 16 किमी का वातावरण दूषित होता है। गाय की मां की तरह सेवा करना।
सक्सेस स्टोरी…
पिता ने किया प्रण, बेटे के लिए खुद बनाएंगे अंतरराष्ट्रीय स्तर का समूह
2021 में पूसा विवि में आइसीएआर की ओर से स्म्मानित अंबिका प्रसाद पटेल का बेटा शुभम सिविल इंजीनियर है। उनके पास मुंबई एयरपोर्ट से बेटे की जॉब को लिए ऑफर आया था, लेकिन परिवार ने तया किया कि ऑर्गेनिक खेती के लिए मिलकर काम करेंगे। अंबिका प्रसाद अब तक 4000 किसानों और कृषि कॉलेजों के छात्रों को पढ़ा चुके हैं। उनका कहना है कि जब तक लोगों में ऑर्गेनिक खेती के प्रति खुद भाव पैदा नहीं होगा, तब तक यह संभव नहीं हो सकता।
अंबिका प्रसाद खुद 28 साल से डिंडॉरी रोड पर 12 एकड़ जमीन में उन्नत खेती कर रहे हैं। 2014-15 से ऑर्गेनिक खेती कर सालाना 50 लाख से अधिक कमा रहे हैं। वे आठ एकड़ में औषधीय फसलें स्टीविया, कोलियस, सतावर, सफेद मूसली, गुग्गल, सर्पगंधा, अश्वगंधा और ऐलोवरा उगा रहे हैं। इन औषधियों की मांग पूरे देश में है, लेकिन वे इन्हें नीमच और नागपुर की मंडी में बेचते हंै। इसके अलावा चार एकड़ में फलदार पौधों की नर्सरी और परंपरागत खेती कर रहे हैं।