महिलाओं के आर्थिक स्वावलम्बन के साथ ही स्वास्थ्य एवं पोषण के लिए भी इस योजना को महत्वपूर्ण बताया जाता है हालांकि इसपर विवाद और बवाल भी खूब हुए हैं। लाड़ली बहना योजना के संबंध में कांग्रेस अक्सर दो सवाल उठाती है। बीजेपी द्वारा योजना की राशि बढ़ाकर 3 हजार रुपए करने और जिन लाखों महिलाओं के नाम काटे गए, उन्हें दोबारा जोड़ने की मांग कांग्रेस जब-तब करती रहती है।
प्रदेश में यह योजना इसलिए प्रारंभ की गई थी ताकि महिलाएं अपनी प्राथमिकता के अनुसार खर्च करने में सक्षम हों, आर्थिक रूप से पहले की अपेक्षा अधिक स्वतंत्र बन जाएं। योजना में आधार नंबर के माध्यम से डीबीटी भुगतान प्रक्रिया अपनायी गयी ताकि बैंक खाते में भुगतान होने से पैसा सीधे महिलाओं के हाथों में आए।
लाड़ली बहना योजना में रजिस्टर्ड महिलाओं की संख्या में लगातार कमी आ रही है लेकिन इसकी वाजिब वजह भी है। ज्यादातर महिला, उम्र की वजह से अपात्र होती जा रहीं हैं। योजना में अभी नया पंजीयन भी नहीं हो रहा है। पंजीयन बंद होने की वजह से नए नाम नहीं जुड़े रहे जिससे पात्र महिलाओं की संख्या बढ़ भी नहीं पा रही है।
सबसे अहम तथ्य तो यह है कि योजना में 2 लाख से ज्यादा महिलाओं के नाम शुरुआत में ही काट दिए गए थे। महिला एवं बाल विकास विभाग के आंकड़े बताते हैं कि मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना की घोषणा होते ही लाखों महिलाओं ने अपात्र होते हुए भी आवेदन कर दिया था। विभागीय आंकड़ों के अनुसार आवेदन के बाद कुल 218858 आपत्तियां भी प्राप्त हुई थीं जिसके बाद अपात्र बहनों के नाम काटे गए। वर्तमान में इस योजना के अंतर्गत कुल 12905457 महिलाओं को हर माह 1250 रुपए दिए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना- एक नजर में
योजना के लिए कुल प्राप्त आवेदन- 13135985
आवेदन के बाद आपत्तियां मिलीं- 218858
आपत्तियों के बाद कुल पात्र महिलाएं- 12905457