हालही में जारी हुई एनुअल लाइटनिंग रिपोर्ट 2021-22 के अनुसार, सामने आया कि, साल 2021-22 में यानी एक वर्ष के भीतर आसमानी बिजली गिरने की देशभर में सबसे अधिक घटनाएं देश का दिल कहे जाने वाले मध्य प्रदेश में हुई हैं। अप्रैल 2021 से मार्च 2022 के बीच प्रदेश में 6 लाख 55 हजार 788 बार आकाशीय बिजली गिरी है, जो दूसरे रज्यों के मुकाबले अधिक हैं। वहीं, चौकाने वाली बात य है कि, यहां वज्रपात की घटनाएं हर साल 13.85 फीसदी की दर से बढ़ रही हैं, जिसका बड़ा खामियाजा आमजन को जान-माल से भुगतना पड़ रहा है।
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10 साल में सबसे ज्यादा मौतें 2021-22 में
इसकी एक वजह ये भी है कि, मध्य प्रदेश भौगोलिक तौर पर बड़ा राज्य है, इसलिए यहां अलग-अलग इलाकों में बिजली गिरने की घटनाएं बढ़ने के कारण भी अलग-अलग हैं। भोपाल मौसम केंद्र के मुताबिक, इस वज्रपात में बीते साढ़े छह महीने के भीतर 199 लोगों की जान गई है। ये आंकड़ा पिछले 10 वर्षों में हुई मौतों में सबसे अधिक है। 2021 में 116 तो 2020 में 168 लोगों की बिजली गिरने से जान गई है।
हमारी कोई तैयारी नहीं
प्रदेश भर में निजी बहुमंजिला इमारतों पर तड़ित चालक नहीं लगे हैं, क्योंकि प्रदेश भूमि विकास नियम में इन्हें लगाने का कोई नियम ही नहीं है। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के संयुक्त संचालक डॉ. अमित कुमार गजभिए कहते हैं कि, नेशनल बिल्डिंग कोड में सिर्फ सरकारी इमारतों के लिए नियम है। बता दें कि, शहर में भवन निर्माण की परमिशन नगर निगम के सिटी प्लानर डिपार्टमेंट से मिलती है, लेकिन इस परमिशन में तड़ित चालक लगाने की कोई शर्त ही नहीं है।
इन जिलों के हर हिस्से पर गिरी बिजली, यहीं 80% हादसे
बीते डेढ़ महीने में होने वाली घटनाओं के बारे में विश्लेषण से पता चलता है कि 80 फीसदी हादसे ग्वालियर-चंबल, बुंदेलखंड, महाकौशल, विंध्य के जिलों में हुए हैं। छतरपुर में सर्वाधिक 13 की मौत हुई है। भोपाल, मालवा और निमाड़ में बिजली लगातार कड़क रही है, लेकिन हादसे उत्तरी और पूर्वी हिस्सों के मुकाबले कम हैं।
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