फूलन के सरेंडर की कहानी
उत्तर प्रदेश से लेकर मध्यप्रदेश के बीहड़ों में इस महिला डकैत ने चुन-चुनकर अपने दुश्मनों का सफाया कर दिया था। मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम अर्जुन सिंह की किताब में भी इस शख्स का जिक्र मिलता है। पूर्व मुख्यमंत्री की इस किताब में उल्लेख मिलता है कि जब मैंने पहली बार फूलन को देखा तो वे चौंक गए, क्योंकि महज पांच फीट की लड़की ऑटोमेटिक राइफल लेकर मंच पर चढ़ रही थी। वो मेरे पास आई और उसने मेरे पैर छूए। हथियार मेरे पैरों के पास रख दिए और हाथ जोड़ा। मेरी सहानुभूति उसके साथ थी। क्योंकि उससे कानून हाथ में लेने के लिए मजबूर कर दिया था। इस कारण एक साधारण लड़की खतरनाक डकैत बन गई और बदले की भावना से कई लोगों को खत्म कर दिया था।
दो लोगों को श्रेय
किताब में दो बार उस अधिकारी का जिक्र आता है। फूलन के सरेंडर करने की कहानी का श्रेय अर्जुन सिंह ने तत्कालीन पुलिस अधीक्षक राजेंद्र चतुर्वेदी और कल्याण मुखर्जी को दिया था। उस समय चतुर्वेदी भिंड जिले के एसपी थे। क्षेत्र में भी ऐसा कहा जाता है कि चतुर्वेदी के ही प्रयासों से फूलन ने आत्मसमर्पण किया था। गौरतलब है कि फूलन देवी ने जिस समय आत्मसमर्पण किया था उस समय राजेन्द्र चतुर्वेदी भिंड जिले के पुलिस अधीक्षक थे। क्षेत्र के लोग भी कहते है कि फूलन देवी के आत्मसमर्पण करने में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र चतुर्वेदी की बड़ी भूमिका थी।
पत्नी और बेटे से भी मिलवाया
उस किताब में लिखा था कि चतुर्वेदी और फूलन की कई बार मुलाकात हुई। इन मुलाकातों में चतुर्वेदी चाहते थे कि फूलन को उन पर भरोसा हो जाए, इसलिए चतुर्वेदी अपनी पत्नी को भी फूलन से मिलने के लिए ले जाते थे। साथ में अपने बेटे को भी मिलवाते थे। इन मुलाकातों का जिक्र कर फूलन ने भी अपनी आत्मकथा में लिखा था :- चतुर्वेदी की पत्नी बहुत सुंदर और दयालु थीं। वो मेरे लिए तोहफे लेकर आई थीं।
ग्वालियर जेल में रही फूलन देवी
आत्म समर्पण के बाद फूलन देवी ग्वालियर जेल में काफी समय रहीं। उससे बात करने वाले बताते थे कि फूलन सरेंडर वाले दिन घबराहट में थीं। उन्होंने कुछ नहीं खाया था और न ही रातभर ठीक से सो पाई थी।
ऐसे कहलाईं बैंडिंट क्वीन
14 फरवरी 1981 का दिन था। उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के बेहमई गांव में एक हत्याकांड हुआ, जिसने देशभर में हलचल पैदा कर दी थी। एक महिला डकैत ने अपने गिरोह के साथ मिलकर एक साथ 20 लोगों को गोलियों से भून दिया था। फूलन के पिता की 40 बीघा जमीन पर उसके चाचा ने कब्जा कर लिया था। फूलन ने जब अपनी जमीन वापस मांगी तो चाचा ने उस पर डकैती का केस दर्ज करवा दिया। फूलन (Bandit Queen) को जेल हो गई। इसके बाद बाहर आने के बाद वो डकैतों के संपर्क में आ गई और चाचा से बदला लेने के लिए फूलन ने बेहमई के 20 लोगों को गोली मारकर खत्म कर दिया था।
मिर्जापुर से बनी थी सांसद
1994 में आई समाजवादी पार्टी ने फलन को जेल से रिहा करवाया और उसके दो साल बाद ही फूलन को चुनाव लड़वा दिया। वो मिर्जापुर से सांसद बन गई और दिल्ली पहुंच गई। इसके बाद 2001 फूलन (indian politician phoolan devi) की जिंदगी का अंतिम साल रहा। इसी साल राजपुत गौरव के लिए लड़ने वाले योद्धा शेरसिंह राणा ने दिल्ली में फूलन देवी के आवास पर पहुंचकर 25 जुलाई 2001 को उनकी हत्या कर दी थी। फूलन देवी पर फिल्म (Bandit Queen) भी बन चुकी है, जिसे शेखर कपूर ने डायरेक्ट किया था। इस फिल्म के कई दृश्यों के कारण इस पर बैन लग गया था।
14 फरवरी 2024 को आया फैसला
देशभर में हलचल मचाने वाले बहुचर्चित बेहमई कांड से 43 साल बाद कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुनाया। एंटी डकैती कोर्ट के विशेष न्यायाधीश अमित मालवीय ने दोषी श्यामबाबू (80) को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसके साथ ही 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया। एक अन्य आरोपी विश्वनाथ (55) को सबूतों के अभाव में दोषमुक्त करार दिया है।
खास बात यह रही कि 14 फरवरी, 1981 को यह कांड हुआ था। और 14 फरवरी, 2024 को ठीक 43 साल बाद फैसला आया है। इतनी लंबी न्यायिक कार्यवाही के दौरान वादी राजाराम, मुख्य आरोपी डकैत फूलन देवी और गवाहों की मौत हो चुकी है। इसके अतिरिक्त तीन आरोपी अभी भी फरार हैं।
फूलन देवी ने कर दी थी 20 लोगों की हत्या
कानपुर देहात के यमुना किनारे बसे बेहमई गांव में 14 फरवरी, 1981 को डकैत रही फूलन देवी ने एक लाइन से खड़ा करके 20 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसमें 6 अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। मरने वाले सभी लोग ठाकुर समुदाय के थे। गांव के रहने वाले राजाराम ने फूलन देवी और मुस्तकीम समेत 14 को नामजद कराते हुए 36 डकैतों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। बेहमई कांड लचर पैरवी और कानूनी दांव पेंच में ऐसा उलझा कि पीडि़त 42 साल तक न्याय का इंतजार करते रहे।
संबंधित खबरें
फूलनदेवी इस आईपीएस अफसर को बांधती थी राखी, कोर्ट ने पांच सालों के लिए भेज दिया जेल
एक शख्स ने बदल दी थी फूलन की जिंदगी, ऐसा था बैंडिंट क्वीन से सांसद बनने का सफर