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चार लोगों को हमीदिया अस्पताल भेजा गया जहां वाहिद और हस्सू ने दम तोड़ दिया। दुकान मालिक शाहिद को भी अधिकारियों ने अस्पताल भेजा। घटना के सवा घंटे बाद निगम का अमला पहुंचा। तब तक लोग चीख-पुकार करते रहे। निगम मुख्यालय और उसके अन्य फायर केद्रों की घटनास्थल से दूरी बमुश्किल 3-4 किमी है। इसके बाद भी बचाव कार्य देर से शुरू हुआ। कलेक्टर अविनाश लवानिया ने बताया जिला प्रशासन की तरफ से मृतकों के परिजन को 4-4 लाख की मदद दी जाएगी।
प्रत्यक्षदर्शियों ने लापरवाही के आरोप लगाते हुए बताया कि पेड काटने कई बार आवेदन किया, लेकिन निगम ने नहीं सुनी, साथ ही अगर समय पर राहत बचाव कार्य शुरु हो जाता तो लोगों की जान बचाई जा सकती थी। पुराने शहर में हादसे के बाद कई घंटे तक बिजली गुल रही। गनीमत यह रही कि हादसे के समय दुकान में ज़्यादा भीड़ नहीं थी। वरना बड़ा हादसा है सकता था।
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यह इमली का पेड़ कब़िस्तान के भीतर था और झुककर बाहर रोड़ की ओर आ गया था। फायर अधिकारी रामेश्वर नील का कहना है कि बाहर की और झुके पेड़ के ही नीचे दुकानें खोल ली गई थीं। हादसे में एक बच्चा दुकान में कुछ खा रहा था वह भी घायल हो गया।
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