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इतने अलग आंकड़े क्यों बता रही सरकार?
हैरानी की बात ये है कि, सरकारी रिकॉर्ड में शनिवार 24 अप्रैल को भोपाल में कोविड से मरने वालों की संख्या महज 5 ही दर्ज है। जबकि, ये आंकड़ा तो सिर्फ भोपाल के एक ही श्मशान यानी भदभदा से जुटाया गया है। बता दें कि, 24 अप्रैल को जितने शवों का अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकॉल के तहत सिर्फ एक श्मशान घाट में किया गया, उतनी मौतों की संख्या सरकारी रिकार्ड में 15 दिनों में होना बताई जा रही है। हालांकि, सिर्फ इसी श्मशान पर वन विभाग की ओर से रोजाना 2 से 3 ट्रक लकड़ी उपलब्ध कराई जा रही है, जबकि अन्य सामाजिक संस्थाओं की ओर से भी यहां रोजाना 1 से 2 ट्रक लकड़ी दी जा रही है। बावजूद इसके यहां लकड़ी का भी टोटा बढ़ता जा रहा है।
आरक्षित जगह कम पड़ी, अब से यहां भी होगा अंतिम संस्कार
भदभदा विश्रामघाट का कैंपस इतना बड़ा होने के बावजूद मौजूदा समय में स्थिति ये है कि, शव के अंतिम संस्कार के आरक्षित सभी जगहें फुल हो चुकी हैं। ऐसे में विश्राम घाट अध्यक्ष अरुण चौधरी और सचिव ममतेश शर्मा ने दाह संस्कार के लिए नए अस्थाई वैकल्पिक स्थान के रूप में विद्युत शवदाह गृह के कैंपस को भी सामान्य अंतिम संस्कार के लिये चयनित कर लिया है।
कितननी खतरनाक है दूसरी लहर, इस बात से लगेगा अंदाजा
विश्राम घाट अध्यक्ष अरुण चौधरी के मुताबिक, कोरोना की ये लहर कितनी खतरनाक है, इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि, पिछली साल 22 मार्च के बाद से कोरोना के चरम समय तक एक दिन में सबसे अधिक 12 शवों को कोविड प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संसका किया गया था, लेकिन इस बार की लहर में गुजरी 10 अप्रैल से ऐसा कोई भी दिन नहीं गुजरा है, जब 50 से कम शवों का अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकॉल के तहत न किया गया हो। वहीं शनिवार से पहले अब तक के सर्वाधिक शवों का अंतिम संस्कार 20 अप्रैल को किया गया था। इस एक दिन में 113 शवों को जलाया गया था। इनमें भोपाल के 94 थे। लेकिन शनिवार को रिकॉर्ड 118 शव यहां लाए गए, जिसने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिये। एक साथ श्मशानघाट में इतने अंतिम संस्कारों का नजारा देखने पर ऐसा लग रहा था कि, मानों पूरे श्मशान घट पर आग लग गई हो।
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पत्रिका का संदेश
पत्रिका का उद्दैश्य इस खबर के माध्यम से लोगों को डराना नहीं है, बल्कि उसके प्रति जागरूकता बढ़ाना है। संक्रमण के इस विक्राल स्तर पर पहुंचने के बाद भी सिर्फ भोपाल ही नहीं प्रदेश और देशभर में अब भी बड़ी आबादी ऐसी है, जो इसे गंभीरता से नहीं ले रही। इसके प्रति जागरूक नहीं हो रही। वरना भोपाल समेत प्रदेशभर में लॉकडाउन होने के बावजूद यहां कोरोना के मरीजों की संख्या गुणात्मक स्तर से न बढ़ती। हम अब भी अपने आस-पास देखें, तो बहुत से लोग मास्क लगाने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने में गंभीरता नही बरत रहे। जरा सोचिये, आपका भी एक हस्ता खेलता परिवार है और जब कोरोना के कारण चारों ओर त्राहिमाम मचा हुआ है, तो क्या कोई एक छोटी सी लापरवाही हमें और हमारे परिवार को किसी संकट में नही डाल सकती? पत्रिका का संदेश है कि, हमें अब भी इस बीमारी से डरना नहीं है, बल्कि नियमों का कड़ाई से पालन करते हुए एक ईमानदार परिवार के सदस्य और एक ईमानदार देश के नागरिक होने का कर्तव्य निभाना है।
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