पुलिस ने बहुओं के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस को दी शिकायत में लाड निवासी राजपति ने बताया कि वह तीन भाई और चार बहनें हैं और सभी शादीशुदा हैं। उसकी माता को तीनों भाइयों ने अपने पास रखने से इन्कार कर दिया था। इसके बाद उसकी माता लगभग आठ साल से उसके पास रह रही थी।
28 नवंबर को उसके भाई ईश्वर सिंह के लड़के व लड़की की शादी थी। शादी में शामिल होने के लिए वह और उसकी माता शिमली आए हुए थे। इस दौरान उसकी माता बेटे ईश्वर के पास रुक गई थी। 12 दिसंबर को उसके पास फोन आया कि आग सेंकते समय माता के कपड़ों में आग लग गई, जिसमें उसके पैर जल गए। इस बारे में उसने अपने आधार पर पता किया तो पता चला कि उसकी भाभी रोशनी व शकुंतला ने ही उसकी माता को आग लगा दी।
वह अपने परिजनों के साथ गांव शिमली आई तो देखा कि उसकी माता जानकी देवी का शव एंबुलेंस में रखा हुआ था और पूरा शरीर बुरी तरह से जला हुआ था। उसने बताया कि उसकी माता को रोशनी व शकुंतला ने जलाकर मारा है। पुलिस में सूचना पाकर मौके पर पहुंची और जांच शुरू की। एएसआइ सज्जन कुमार ने बताया कि शिमली की एक महिला को जलाकर मारने के आरोप में उसकी बहुओं रोशनी व शकुंतला के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कर लिया है।
डबवाली अग्निकांड में कोर्ट का बड़ा फैसला
डबवाली अग्निकांड पर कोर्ट के बड़े फैसले के तहत पीडि़तों को 3 करोड़ 32 लाख रुपए की राशि मुआवजे के तौर पर वितरित की जाएगी। अदालत ने डी.ए.वी. संस्थान को मुआवजा राशि 22 दिसम्बर, 2017 तक जमा करवाने के आदेश दिए हैं। अगर उपरोक्त अवधि तक राशि जमा नहीं करवाई जाती तो संस्थान के बैंक खाते तथा प्रॉपर्टी अटैच कर ली जाएगी। अदालत ने यह फैसला डबवाली अग्निकांड पीडि़त संघ की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुनाया।
पीडि़तों ने देश की शीर्ष अदालत के फैसले के अनुसार मुआवजा मांगते हुए याचिका में डी.ए.वी. संस्थान की प्रॉपर्टी तथा बैंक खाते अटैच करने की मांग की थी। 18 नवम्बर, 2017 को दोनों पक्षों की जिरह के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। डबवाली अग्निकांड पीडि़तों ने अदालत के फैसले को उचित करार देते हुए सच्चाई की जीत बताया है।
उल्लेखनीय है कि 23 दिसम्बर,1995 को डी.ए.वी. स्कूल के राजीव पैलेस में आयोजित वार्षिक समारोह में शॉर्ट सर्किट से पंडाल में आग लग गई थी। देखते ही देखते पंडाल आग की लपटों में घिर गया और इस अग्निकांड में 442 लोगों की मौत हो गई थी जिनमें 258 बच्चे शामिल थे।