गली मोहल्लों में झोलाझाप की बहार, कार्रवाई का इंतजार
अधिकारियों की टीम नहीं होती पूरी, कैसे लगे अवैध क्लिनिक पर लगाम
गली मोहल्लों में झोलाझाप की बहार, कार्रवाई का इंतजार
भिवाड़ी. औद्योगिक क्षेत्र में चाहे जिस गली मोहल्ले में खड़े हो जाएं, एक अवैध क्लिनिक (झोलाझाप) आपको जरूर दिख जाएगा। झोलाझाप चिकित्सकों के लिए उद्योग नगरी में अच्छी संभावनाएं हैं। दूरदराज से मेहनत मजदूरी के लिए यहां लाखों की संख्या में प्रवासी श्रमिक आते हैं। जानकारी के अभाव में ऐसे श्रमिक गली नुक्कड़ पर बैठे झोलाझाप से ही इलाज कराते हैं। कई बार इनके गलत इलाज से मजदूरों को परेशानी होती है। उनकी जान खतरे में पड़ जाती है लेकिन स्वास्थ्य विभाग एवं प्रशासन की प्रभावी कार्रवाई नहीं होने से झोलाझाप पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।
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कैसे हो कार्रवाई, अधिकारी नहीं होते एकत्रित
स्वास्थ्य विभाग के नियमानुसार झोलाझाप पर कार्रवाई के लिए एक टीम गठित है। इस टीम में एक एसडीएम प्रतिनिधि, ड्रग इंस्पेक्टर, बीसीएमओ और कार्रवाई स्थल का चिकित्सा अधिकारी प्रभारी होता है। चार अधिकारियों की टीम मिलकर कार्रवाई करती है। लेकिन भिवाड़ी में ये चारों अधिकारी एकत्रित नहीं होते और झोलाझाप पर कार्रवाई नहीं होती।
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जिला बना लेकिन अधिकारी नहीं
झोलाझाप पर कार्रवाई के लिए सबसे कम उपलब्धता ड्रग इंस्पेक्टर की रहती है। ड्रग इंस्पेक्टर का कार्यालय अलवर है, नया जिला खैरथल तिजारा का गठन होने के बाद वहां नियुक्ति नहीं हुई है। अधिकारी कम होने से पूरी टीम नहीं बनती जिससे झोलाझाप कार्रवाई से बच निकलते हैं।
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मोटी कमाई, कचरे में बायो वेस्ट
प्रवासी मजदूरों की संख्या अधिक होने से झोलाझाप की कमाई खूब है। अवैध क्लिनिक पर सुबह से शाम तक मरीजों की भीड़ लगती है। अवैध क्लिनिक मरीजों से खिलवाड़ करने के साथ ही पर्यावरण और पशु पक्षियों को भी नुकसान पहुंचाते हैं। इनके द्वारा बायो मेडिकल वेस्ट का निस्तारण नहीं किया जाता। मेडिकल वेस्ट को कचरे में फेंक देते हैं, जिससे बेसहारा जानवर खाकर बीमार हो जाते हैं।
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इस संबंध में टीम द्वारा जल्द ही कार्रवाई शुरू की जाएगी। सभी क्लिनिक की जांच होगी, गड़बड़ मिलने पर सीज किया जाएगा।
आरडी मीना, सीएमएचओ
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