scriptएमपी में धान के भाव पर बवाल, दूसरे राज्यों में 4500 रुपए बिक रहा पर यहां मिल रही आधी कीमत | 4500 rupees in other states but half the price of paddy in Gohad | Patrika News
भिंड

एमपी में धान के भाव पर बवाल, दूसरे राज्यों में 4500 रुपए बिक रहा पर यहां मिल रही आधी कीमत

price of paddy in Gohad मध्यप्रदेश में धान के भाव पर रोज बवाल मच रहा है। धान की कम कीमत मिलने से किसान भड़क गए।

भिंडNov 27, 2024 / 11:38 am

deepak deewan

paddy price Gohad

paddy price Gohad

मध्यप्रदेश में धान के भाव पर रोज बवाल मच रहा है। भिंड के गोहद में धान की कम कीमत मिलने से किसान भड़क गए। किसानों ने कृषि उपज मंडी गेट पर ताला लगाकर प्रदर्शन शुरू कर दिया। वाहनों पर बैठकर व्यापारियों के खिलाफ नारेबाजी कर सरकार और प्रशासन को धान की कम बोली का जिम्मेदार ठहराया। किसानों ने कहा कि दूसरे जिलों और राज्यों में धान के भाव 4500 रुपए तक हैं जबकि यहां आधी कीमत दी जा रही है। कांग्रेस विधायक केशव देसाई और कार्यकर्ताओं ने भी किसानों का समर्थन किया। हंगामा बढ़ते देख गोहद टीआइ मनीष धाकड़ और मंडी सचिव प्रशांत पांडेय किसानों के बीच पहुंचे। अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि व्यापारियों से चर्चा कर अच्छी क्वालिटी की धान का रेट सही लगाया जाएगा, तब जाकर किसानों ने आंदोलन खत्म किया।
दरअसल गोहद मंडी में जिले भर से किसान धान लेकर पहुंच रहे हैं, लेकिन व्यापारी 2000 रुपए से धान की बोली शुरू कर 2400 पर खत्म कर देते हैं। किसानों का आरोप है कि पड़ोसी जिलों मुरैना, श्योपुर और दतिया सहित महाराष्ट्र में धान के भाव 3600 से 4500 रुपए तक चल रहे हैं।
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किसानों का कहना है कि धान की आवक अधिक होने से व्यापारी मनमर्जी से सस्ते भाव में धान खरीदकर बाहर भेज रहे हैं। इससे किसानों को नुकसान हो रहा है, उनकी लागत तक नहीं निकल पा रही है। किसानों ने आरोप लगाया कि तीन-तीन दिन तक अनाज की बोली नहीं लग रही है। ग्रामीण इलाकों से किसान भाड़े पर ट्रैक्टर लेकर आते हैं। मंडी में बोली न लगने से उन्हें अतरिक्त भाड़ा देना पड़ता है।
विधायक बोले-सैंपल के नाम पर लूट
किसानों के समर्थन में कांग्रेस विधायक केशव देसाई ने मंडी सचिव को छह सूत्रीय मांगों का ज्ञापन दिया। उन्होंने कहा मंडी में सैंपल के नाम पर किसानों से पांच से दस किलो उपज ली जा रही है, इस लूट को रोकने के लिए कार्रवाई की जाए। मंडी के बाहर खरीदी बंद करवाएं। जिन व्यापारियों के लाइसेंस हैं पर वह खरीदी नहीं कर रहे हैं उनके खिलाफ नोटिस जारी किए जाएं। कैंटीन में किसानों को भोजन नहीं मिल रहा है। इसलिए कैंटीन का ठेका निरस्त किया जाए। फसल का भुगतान कलेक्टर के द्वारा निर्धारित समय सीमा में किया जाए।

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