दरअसल यह अफवाह फैली कि 10 रुपए का सिक्का मान्य नहीं है। इसके बाद शहर में 10 का सिक्का लेने से लोग कतराने लगे। किराना व्यापारी हो या पेट्रोल पंप या फिर चाय की दुकान, 10 के सिक्के पर सब जोड़ने लगे। धीरे-धीरे लोग भी इन सिक्कों से कतराने लगे। इसके बाद बाजार ने 10 रुपए के सिक्के से दूरी बना लिया। प्रदेश का एक मात्र शहर है है, जहां दस के सिक्के का लेनदेन नहीं है। असल में अफवाह किसने और क्यों फैलाई, यह पता आज तक नहीं लगा। ना ही भारतीय रिजर्व बैंक या प्रशासन ने अफवाह दूर करने की कोशिश की।
10 किमी दूर दौड़ रहे 10 के सिक्के दिलचस्प बात यह है कि भीलवाड़ा से महज 10 किमी दूर मांडल तथा अन्य तहसीलों में 10 के सिक्के चलन में हैं। भीलवाड़ा शहर में तो बैंक भी 10 के सिक्के लेने में आनाकानी करते हैं।
इनकार नहीं कर सकते इधर, बैंक अधिकारी हेमेन्द्र कौशिक का कहना है कि रिजर्व बैंक ने कभी भी 10 रुपए के सिक्के बंद नहीं किए। कोई कारोबारी इसे लेने से इंकार करता है और उसकी शिकायत होती है तो यह राष्ट्रीय मुद्रा का अपमान माना जाएगा। पुलिस उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है।
आरबीआई की गाइडलाइन रिजर्व बैंक ने बैंकों में सिक्के जमा करने की सीमा तय नहीं की। हालांकि सिक्का अधिनियम 2011 की धारा 6 (1) के अनुसार किसी भी मूल्य वर्ग के सिक्के एक रुपए से कम नहीं होने चाहिए व कुल एक हजार रुपए तक के भुगतान के लिए वैध रहेंगे।
एक भी मामला दर्ज नहीं शहर में करीब पांच साल से 10 रुपए के सिक्कों का लेनदेन बंद है। चौंकाने वाली बात है कि इस दौरान प्रशासन के पास एक भी शिकायत नहीं पहुंची। पुलिस में भी 10 का सिक्के नहीं लेने की कोई एफआईआर दर्ज नहीं है। प्रशासन हो या बैंक किसी ने कभी भी इस मामले में किसी कारोबारी को नोटिस तक नहीं दिया है। आरबीआई, पुलिस और प्रशासन का एक ही जवाब होता है-शिकायत कीजिए, कार्रवाई होगी।
वीडियो बनाएं व भेजें कोई भी व्यापारी 10 का सिक्का लेने से मना करे तो उसका वीडियो बनाकर जिला प्रशासन को भेजे। उस पर भारतीय मुद्रा का अपमान का मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। कोई भी भारतीय मुद्रा को लेने से मना नहीं कर सकता है।
अशोक कुमार पांडे, लीड बैंक मैनेजर