औद्योगिक इकाइयों की स्थापना में सबसे अहम भूमिका जमीन की है। औद्योगिक क्षेत्र आवंटन नियम 1959 के कुछ प्रावधान में अधिकार राज्य स्तर पर दे रखे हैं, जबकि रीको के यह अधिकार क्षेत्रीय प्रबंधक के पास है। यही अधिकार जिला उद्योग केंद्र अधिकारी को मिल जाए तो औद्योगिक भूमि संबंधी कई कार्य तेजी से होकर औद्योगिक विकास को अधिक गति मिल सकेगी। सभी श्रेणी के उद्योगों के लिए कलक्टर स्तर पर 6 लाख वर्ग मीटर तक भू-आवंटन के अधिकार मिले तो टेक्सटाइल उद्योग का विकास तेज होगा ।
रीको अवधि बढ़ा सकता, लेकिन कलक्टर नहीं रीको की उद्योग स्थापना की अवधि तीन वर्ष है। इसके बाद शुल्क लेकर रीको अधिकारी अपने स्तर पर 3 वर्ष की अवधि बढ़ा सकते हैं। राजस्थान औद्योगिक क्षेत्र आवंटन नियम-1959 के नियम 7 के अनुसार उद्योग स्थापना की अवधि 2 वर्ष है। आवंटन अधिकारी 2 वर्ष और बढ़ा सकते हैं। उसके बाद आंवटन अधिकारी के माध्यम से आवेदन करने पर सरकार अवधि बढ़ाती है।
उत्पादन परिवर्तन के अधिकार रीको को कोई भी उद्योग अपने उत्पादन को रीको के माध्यम से परिवर्तन करवा सकता है। राजस्व के अनुसार लघु एवं मध्यम उद्योगों के उत्पाद परिवर्तन करने का अधिकार सरकार के पास है।
रीको को भूमि विभाजित का अधिकार रीको की आवंटित भूमि को विभाजित या उप विभाजित करने अधिकार है। औद्योगिक आवंटित भूखण्ड को नियम 9 के तहत विभाजित या उपविभाजित करने का अधिकार सरकार के पास है।
फीस जमा कराओ, उत्पाद बदलो रीको के भूखंडों को किराए पर देने या उत्पादन बदलने के अधिकार रीको के पास है। इसके लिए फाइलें रीको कार्यालय में लगाकर निर्धारित शुल्क पर स्वीकृति मिल जाती है। इससे उद्यमियों को काम में देरी नहीं होती है। यहां किसी भी प्रक्रिया के लिए एक निर्धारित फीस व समय तय है।
नाम नहीं हो सकता परिवर्तन औद्योगिक भूखंड किसी के नाम है और बेटे को अपनी जगह काम कराना चाहता है तो तब तक नहीं कर सकता, जब तक भूखंड किराए की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती। यही नियम एक से दूसरे उद्यमी को भूखंड किराए पर देने पर भी लागू होता है। किराए की स्वीकृति के लिए फाइल जयपुर भेजनी पड़ेगी। किसी ने लूम के लिए भूखंड लिया हो और बाद में लोहे, गत्ते या अन्य इंडस्ट्री शुरू करना चाहता हैं तो इसके लिए भी जयपुर से स्वीकृति लेनी पड़ेगी। टेक्सटाइल उद्यमियों को कहना है कि रीको के समान जिला कलक्टर को भी यह अधिकार मिलने चाहिए।