बारिश अच्छी होने से मातृकुण्डिया बांध में भराव क्षमता ११८८ एमसीएफटी के मुकाबले ८८२ एमसीएफटी पानी आ चुका है, नियमानुसार यहां २६३ एमसीएफटी पानी आरक्षित किए जाने का प्रावधान होने से मांडल विधायक रामलाल जाट ने सरकार व जिला प्रशासन को बांध का पानी मेजा बांध के लिए छोड़े जाने का प्रस्ताव भेजा। हालांकि चित्तौडग़ढ़ जिले के बांध क्षेत्र के गांव हमेशा से ही मेजा बांध को पानी दिए जाने का विरोध करते आए है, इस बार भी विरोध के सुर उठे, लेकिन विधायक जाट व जिला प्रशासन के प्रयास रंग लाए और सरकार ने मेजा बांध में पानी छोडऩे की अनुमति दे दी।
अधिशासी अभियंता सीएल कोली ने बताया कि मातृकुण्डिया बांध के मेजाफीडर के गेट से शुक्रवार सुबह १० बजे विभागीय अधिकारियों की मौजूदगी में मेजा बांध के लिए पानी छोड़ा गया। सोमवार रात को मेजा बांध में पानी की आवक शुरू हो गई।
अधीक्षण अभियंता सतपाल मीणा के निर्देश पर विभागीय टीम ने मातृकुण्डिया से मेजा बांध तक आ रही ५२ किमी लंबी नहर क्षेत्र को देखा। यहां अवरोधकों को हटाया गया, कई स्थानों पर मरम्मत की गई। उन्होंने बताया कि बांध का यह पानी राश्मी व पहुंना क्षेत्र से होता हुए भीलवाड़ा जिले में प्रवेश करता हुआ मेजा बांध तक पहुंचेगा।
मेजा का आसरा होगा मजबूत
जिले में चम्बल पेयजल परियोजना का पानी आने के बावजूद भीलवाड़ा शहर की प्यास मेजा बांध के सहारे टिकी हुई है। जलदाय विभाग अभी भी रोजाना बांध से ३० लाख लीटर पानी की आपूर्ति शहर के लिए कर रहा है, हालांकि वर्ष २०१८ में मेजा बांध से रोजाना ८० से ९० लाख लीटर पानी की आपूर्ति हो रही थी। मातृकुण्डिया बांध से पानी छोड़े जाने के बाद मेजा बांध में तीन से चार फीट पानी और बढऩे की उम्मीद है। वही समूचा पेटां क्षेत्र भी लबालब होगा। जिले में मेजा बांध में इस साल की बारिश से छह फीट पानी भी नहीं आया।
५२ किलोमीटर दूरी से पानी आने की स्थिति में मेजा बांध तक पानी पहुंचने में कई प्रकार की समस्या भी सामने आएगी। रास्ते में २५ से अधिक गांव होने एवं यहांख्खेती बाड़ी होने से पानी की चोरी होने, नहरों के टूटने से पानी व्यर्थ में बहने की भी आशंका है। पानी को लेकर किसी प्रकार की विवाद की स्थिति नहीं बने, इसके लिए जिला प्रशासन ने दोनों जिलों में पुलिस को भी अलर्ट किया है।
नियमानुसार मातृकुण्डिया के पानी पर भीलवाड़ा का भी हक है, भीलवाड़ा को पानी दिए जाने को लेकर चित्तौड़ में विरोध था, सीएमओ को प्रस्ताव भेजा और भीलवाड़ा जिले की पैरवी की। सरकार ने भीलवाड़ा को पानी देकर क्षेत्र की जनता के साथ न्याय किया। पानी आने से ५२ किलोमीटर लम्बा क्षेत्र भी हरा भरा होगा।
रामलाल जाट, विधायक मांडल