आयोजन समिति के अशोक बडजात्या ने बताया कि सुबह 6 बजे मूलनायक अभिषेक एवं शांतिधारा हुई। इसके बाद बाद जाप अनुष्ठान, अभिषेक, सम्मेदशिखर पर्वत दर्शन, पूजा व निर्वाण भक्ति, निर्वाण प्राप्ति, गुणारोपण, निर्वाण कल्याणक पूजा हुई। आचार्य ज्ञान सागर महाराज ने मोक्षकल्याणक के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
छह साल पहले जहाजपुर में ही भू गर्भ से प्रकट हुए 20 वें तीर्थंकर भगवान मुनिसुव्रतनाथ स्वामी की प्रतिमा को आचार्यश्री व माताजी के सानिध्य में गाजे बाजे साथ नवनिर्मित मंदिर की वेदिका तक लेकर पहुंचे और विधिविधान के साथ विराजमान किया गया। इस दौरान देशभर से आए श्रावक- श्राविकाओं ने भगवान के दर्शन कर पुण्य प्राप्त किया। जैन भजनों पर श्रद्धालुओं ने खूब नृत्य किया। इससे पहले नवीन वेदियों में बिम्ब स्थापन विधि का शुभारंभ यंत्र स्थापनाए शांति हवन व बिम्ब स्थापना की गई। इस दौरान पंचकल्याणक आयोजन महोत्सव समिति जहाजपुर के अध्यक्ष विनोद जैन टोरड़ी, महामंत्री ज्ञानेन्द्र जैन, प्रचार-प्रसार प्रभारी मनोज जैन आदिनाथ,कार्याध्यक्ष जयकुमार कोठारी, पवन सोनी, पवन अजमेरा, भागचंद पाटनी व महावीर पौद्वार आदि मौजूद थे।
स्वस्तिधाम में गुरुवार देर रात तक कवि सम्मेलन का रंग जमा। कवियत्री नमृता जैन ने सरस्वत वंदना से काव्य पाठ की शुरूआत की। कवि सुरेंद्र शर्मा ने हास्य की रचनाएं सुनाकर श्रोताओं को खूब हंसाया। वहीं कवि सुरेंद्र व्यास ने खूब व्यंग्य बाण छोड़े। उत्तरप्रदेश के कवि मोहन मुंतजीर ने ‘मैं,चांद तोड़ लाउ अगर मां मुझे कहेÓ रचना सुनाई। संचालन कवि सौरभ जैन ने किया।
आयोजन समिति के अध्यक्ष विनोद जैन टोरड़ी ने बताया कि वेदिका पर 20 वें तीर्थंकर मुनिसुव्रतनाथ भगवान को विराजमान करने के साथ ही आचार्यश्री व माताजी के सानिध्य में महामस्काभिषेक शुरू हो गया। मंत्रोच्चारण के साथ श्रावक.श्राविकाओं ने पहले दिन यह अभिषेक कर पुण्यअर्जित किया। 20 फरवरी तक मंदिर में महामस्तकाभिषेक चलेगा।