गत 65 साल से नाना वेशभूषा पहनकर लोगों का मनोरंजन कर रहे हैं। वे गाडोलिया लुहार, कालबेलिया, काबुली पठान, ईरानी, फकीर, राजा, नारद, भगवान भोलेनाथ, माता पार्वती, साधु, दूल्हा-दुल्हन आदि विभिन्न स्वांग रचते हैं। उम्र ढलने के बावजूद कला लोगों को मुरीद किए हुए हैं।