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भीलवाड़ा

कागज में केवल कोटड़ी की अनुमति, असल में समूची बनास से बजरी खनन

मंगरोप थाना क्षेत्र से रोज गुजरते हैं 300 ट्रैक्टर

भीलवाड़ाAug 08, 2021 / 08:22 am

Suresh Jain

कागज में केवल कोटड़ी की अनुमति, असल में समूची बनास से बजरी खनन

कागज में केवल कोटड़ी की अनुमति, असल में समूची बनास से बजरी खनन

सुरेश जैन
भीलवाड़ा।
बजरी खनन को लेकर सुप्रीम कोर्ट की रोक के असर की असलियत देखनी हो तो जिला मुख्यालय व उसके आसपास आइए। जिले में केवल कोटड़ी क्षेत्र में बनास व कोठारी नदी से बजरी खनन की अनुमति है लेकिन मंगरोप, कान्योड़ी, जहाजपुर जैसी कई जगह बजरी का अवैध खनन हो रहा है। जिला प्रशासन व खनिज विभाग चुप्पी साधे है।
अवैध खनन की शिकायतों के बावजूद आरोपियों पर कार्रवाई नहीं होने से प्रशासन की कार्य प्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। मंगरोप क्षेत्र के प्रतिदिन ३०० ट्रैक्टर बजरी के निकल रहे है। ये मंगरोप थाने से मात्र ५०० मीटर दूर से गुजरते हैं। यह बात और है कि थाना पुलिस इससे अनजान है या अनजान बन रही है।
पत्रिका टीम ने शनिवार को क्षेत्र में बजरी खनन के हालात जाने। टीम जब मंगरोप रोड पर थी तो कुम्हारिया के पास एक दर्जन से अधिक बजरी के ट्रैक्टर निकले। मजेदार बात यह है कि यह दो हिस्सों में चल रहे थे। एक साथ पहले ६ ट्रैक्टर रवाना हुए तो दूसरे दल कुछ देर बाद निकला। बकायदा इन्हें चार मोटरसाइकिलों पर सवार लोग एस्कॉर्ट कर रहे थे ताकि आगे का रास्ता साफ करते जाए।
फोटो क्लिक तो फोन शुरू
जैसे ही पत्रिका टीम एक साथ निकले ६ ट्रैक्टरों के फोटो खिंचने लगी सभी चालकों ने फोन निकाले और एक हाथ से ट्रै्रक्टर चलाने लगे और दूसरे से फोन पर चर्चा। साथ ही चालकों ने अपने वाहनों की गति एकदम बढ़ा दी। एक होटल के बाहर आकर टीम जब रूकी तो आगे चल रहे बजरी माफिया के मुखबिरों ने चालकों को दूसरा रास्ते से निकलने का इशारा कर दिया।
तेज रफ्तार से दौड़ते
शहर व आसपास बजरी के ट्रैक्टर तेज गति से दौड़ते मिलते हैं। इनके आगे बाइक सवार चलते हैं, जो चालक को रास्ते भर की सूचना देता है। बजरी के धंधे से जुड़े लोगों का कहना है कि अवैध खनन में एेसे वाहन इस्तेमाल करते हैं, जिनके लाइसेंस या परमिट भी नहीं होते। चालकों के पास न वाहन के कागज होते हैं और न ही चलाने का लाइसेंस।
इस क्षेत्र में छूट
कोटड़ी क्षेत्र में बनास व कोठारी नदी में ही बजरी खनन के लिए १४ माह की छूट मिली थी। यह छूट भी बनास नदी क्षेत्र बनका खेड़ा से चेनपुरा तक तथा कोठारी के लिए कोदूकोटा से सवाईपुर तक है। हालांकि यह बात अलग है कि बजरी बनास नदी जहां से गुजर रही है, माफिया उसका सीना चीरकर बजरी निकाल रहे हैं।

१३ नाके, जहां पुलिस व खनिज विभाग की निगरानी
अवैध खनन को लेकर खनिज अभियन्ता एलएन कुमावत से बातचीत
पत्रिका-बजरी खनन के लिए कहां-कहां अनुमति दे रखी है?
एमई-केवल कोटड़ी क्षेत्र में ही बजरी खनन की अनुमति है।
पत्रिका-मंगरोप क्षेत्र में बजरी का दोहन हो रहा है?
एमई- इसकी जांच कराते हैं। नाके भी लगा रखे हैं। हो सकता है नाकेदार उस समय नहीं हो।
पत्रिका-नाके कहां-कहां पर लगा रखे हैं?
एमई-जिले में १३ जगह नाके पर पुलिस व खनिज विभाग के कर्मचारी लगे हैं।
पत्रिका-आम आदमी को बजरी से भरे ट्रैक्टर दिखते है तो नाकेदार को क्यों नहीं नजर आते? क्या कारण है?
एमई-ऐसा कोई कारण नहीं है कि नाकेदार को बजरी भरे टै्रक्टर नजर नहीं आ रहे हैं। फिर भी इसे चेक करवाते हैं।
पत्रिका- राजनीतिक दबाव या और कोई कारण तो नहीं है?
एमई-ऐसा कोई दबाव या कारण नहीं है। फिर भी मंगरोप क्षेत्र में इसकी जांच करवाते हैं।

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