कैनवास पर प्राकृतिक रंगों का उपयोग
फड़ चित्रकला10वीं शताब्दी में शुरू की गई एक भारतीय पारंपरिक लोक कला है, शाहपुरा में सोलहवीं पीढ़ी के कलाकार पूर्वजों की कला को आगे बढ़ा रहे हैं। सूत से बने कैनवास पर प्राकृतिक रंगों का उपयोग करके लोक देवता पाबूजी महाराज का चित्रण और लोक देवता देवनारायण की जीवनी का चित्रण किया जाता है।
मेवाड़ का 1500 साल का इतिहास
भोपा पारंपरिक लोक गायन और पारंपरिक वाद्ययंत्रों के साथ लोकगीतों के माध्यम से कहानी सुनाता है। समय के साथ यह कला नए विषयों को चित्रित करने लगी है, शाहपुरा में अभिषेक जोशी एवं अन्य चित्रकारों ने फड शैली में मेवाड़ का 1500 साल का इतिहास कैनवास पर उकेरा है।
अंतर्राष्ट्रीय ऑनलाइन प्रतियोगिता में श्रेष्ठ
जिसे लिम्का बुक, अमेरिका बुक सहित 15 राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय रिकॉर्ड पुस्तकों में स्थान मिला है। हाल ही में कोरोना संकटकाल की थीम पर एक फड़ पेंटिंग जिसे जवाहर कला केंद्र,जयपुर की ऑनलाइन प्रतियोगिता और रशिया-इंडिया कल्चरल एक्सचेंज की अंतर्राष्ट्रीय ऑनलाइन प्रतियोगिता में श्रेष्ठ रही है।
फड चित्रकला विरासत में मिली
फड चित्रकार अभिषेक जोशी बताते है कि फड चित्रकला उन्हें विरासत में मिली। युवा साथियों के साथ अब नए जमाने के स्वरूप में भी ढाल रहे है। हाड़ा रानी, महाराणा प्रताप की जीवनी, पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता की प्रेम कहानी, ढोला मारू की प्रेम कहानी, भगवान विष्णु के 10 अवतार आदि फड़ पेंटिंग शैली में समसामयिक विषयों पर कई पेंटिंग भी बनाई हैं।