28 सितम्बर से लेना शुरू हो गए थे। तीन अक्टूबर से ऑन लाइन भरे भी जाने लगे है। कईयों को आवेदन के दौरान नेटवर्क व अन्य समस्याओं से भी जुझना पड़ रहा है। कईयों ने तो ऑफलाइन ही फार्म भर दिए है।
नई अफीम नीति 2023- 24 के अनुसार 1997-98 से लगातार पांच वर्ष तक अफीम बुवाई की और 3 वर्ष का औसत दिया है तो भी उसको लाइसेंस दिया जाएगा। इसी प्रकार यदि 5 वर्ष के अंतिम वर्ष में अगर उसकी औसत कम रही तो भी वह पात्र माना जाएगा। अफीम नीति में एनडीपीएस एक्ट से बरी किसान को भी इस बार लाइसेंस दिए जाने का प्रावधान किया गया है। किसानों की उपज में 997- 98 से अब तक 6% मार्फिन है, वह भी लाइसेंस के पात्र माने जाएंगे। दिवंगत किसान अगर उपरोक्त श्रेणियां में पात्र रहा तो उनके वारिस को भी लाइसेंस दिए जाएंगे।
अफीम पट्टे के लिए आवेदन ऑनलाइन होने से काश्तकारों को दूरदराज के हिस्सों से जिला अफीम कार्यालय अब कई बार नहीं जाना पड़ेगा। इससे समय के साथ पैसे की बचत होगी। वही अन्य परेशानी भी कम होगी। हालांकि नेटवर्क समेत अन्य समस्या जरुर रहेगी।
नई अफीम नीति से जुड़े प्रावधानों से भीलवाड़ा डिवीजन में शामिल कोटड़ी, मांडलगढ़, बिजौलियां व जहाजपुर तथा गंगरार व बेगूं क्षेत्र में डेढ़ हजार पट्टे तक बढ़ने की संभावना है। वही राजस्थान, एमपी व यूपी में करीब 40 हजार तक अफीम के लाइसेंस बढ़ जाएंगे। नई नीति से किसानों को आवेदन के लिए अब विभागीय कार्यालय के चक्कर नहीं लगाने पड़ेगे।
उच्च विभागीय अधिकारी कहते है कि नई नीति की पालना की जा रही है। सभी आवेदन ऑनलाइन ही जमा होंगे। यदि कही अधिक समस्या रही तो वहां केन्द्र के मार्गदर्शन में ऑफ लाइन आवेदन भी संभव है।
भारतीय किसान संघ एवं अफीम किसान संघर्ष समिति के प्रांतीय अध्यक्ष बद्रीलाल तेली बताते है कि अफीम नीति में किसान को दो प्लॉट में बुवाई करने का प्रावधान नहीं दिया है। इस वर्ष इस नीति में यह स्पष्ट नहीं है। विभागीय अवहेलनाओं से कई किसानों के वर्ष 1998 से पट्टा रूके है, उन्हें जारी करने चाहिए। सरकार को इस साल तो आद्यॅनलाइन के साथ ही ऑफलाइन की ही व्यवस्था रखनी चाहिए थी।