जानकारों के अनुसार, लॉकडाउन में स्कूलों में ऑनलाइन क्लास शुरू हुई तो दुष्परिणाम सामने आने लगे। बच्चे मोबाइल एडिक्शन की चपेट में आ रहे हैं। एमजीएच में मनोचिकित्सक के पास बच्चों में मोबाइल और इंटरनेट की लत के कई मामले आ रहे हैं। बच्चों के व्यवहार में बदलाव आने लगा है। पेरेंट्स की शिकायत है कि बच्चों को समझाते हैं तो वे चिड़चिड़े और गुस्सैल हो रहे हैं। इस तरह के औसत हर दूसरे दिन एक बच्चा आ रहा है।
मानसिक विकास रूका
छोटी उम्र में गुस्सा या चिढऩा आम बात है, क्योंकि इस उम्र में चीजों को समझना आसान नहीं होता। मोबाइल की लत के कारण ये और बढ़ रहा है। अगर बच्चे को फोन का इस्तेमाल करने से रोका जाए तो गुस्से की प्रवृति बढ़ रही है। ये बच्चों को पहले से ज्यादा चिड़चिड़ा बना रही है। मोबाइल ही उनकी दुनिया हो गई है। लॉकडाउन चुनौती है। ऐसे में पेरेंट्स को चाहिए कि वे सब्र से काम लें और बच्चों के मानसिक विकास को ध्यान में रखें। भविष्य में इन्ट्रक्शन की बड़ी समस्या आने वाली है। वह सब कुछ मोबाइल से सीख रहे हैं। मोबाइल पर क्या आता है, यह किसी से छिपा नहीं है।
डॉ. वीरभान चंचलानी, मनोरोग विशेषज्ञ, एमजीएच भीलवाड़ा