भीलवाड़ा में अब एक खास बात यह सामने आई है कि यहां कई ऐसे रोगी सामने आए हैं जिनमें कोरोना के लक्षण नहीं थे। इसके बावजूद उन्हें संदिग्ध मानते हुए कोरोना जांच का नमूना भेजा गया। ऐसे में उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। सबसे पहले बृजेश बांगड़ अस्पताल के दो चिकित्सक व चार नर्सिंगकर्मी महात्मा गांधी अस्पताल में जाकर भर्ती हो गए थे। इसके बाद लगातार उनके संपर्क में आए मरीजों की रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही है।
संक्रमण की संभावना को देखते हुए चिकित्सा विभाग के अस्पताल के 265 कर्मचारियों को भी क्वारेंटाइन कर नमूने भेजे हैं। इसमें अस्पताल के कुछ स्टाफ में कोरोना के लक्षण जैसे जुखामए बुखार आदि नहीं थे। इसके बावजूद उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई है। ऐसे में अब चिकित्सकों के लिए यह और चिंता का विषय बन गया है। यदि ऐसा हुआ तो पहचान करना मुश्किल हो जाएगा।
दो मृतक और दोनों के दो-दो परिजनों पर खतरा
भीलवाड़ा में अब तक कोरोना संक्रमित दो रोगियों की मौत हुई है। दोनों की उम्र 60 साल से ज्यादा है। डॉक्टरों का कहना है कि ये पहले से गंभीर बीमारियों से पीडि़त थे। ऐसे में इनकी मौत कोरोना वायरस के इंफेक्शन से नहीं बल्कि मल्ट ऑर्गन फेलियर से हुई है। सबसे बड़ी बात है कि दोनों मृतकों में शाम की सब्जी के मरीज के बेटे व पोती की रिपोर्ट पॉजिटिव है। वहीं नाथडिय़ास के मरीज की पत्नी व बेटे की रिपोर्ट पॉजिटिव है। ये भी कई लोगों से मिल चुके हैं।
नाथडिय़ास से ले आए मिनी बस
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने नाथडिय़ास से एक मिनी बस भरकर संदिग्ध मरीजों का उठाया है। हालांकि इनमें कोरोना के कई लक्षण नहीं थे लेकिन इस डर से उठाया है कि कहीं ये संक्रमित रोगी से तो नहीं मिले हैं। अभी इन्हें क्वारेंटाइन कर रखा है।
मुझे कुछ नहीं होगा कोरोना
सूत्रों के अनुसारए कुछ मरीजों के जब नमूने लिए गए तब वे कह रहे थे हमे कोरोना नहीं हो सकता है। उन्हें क्वारेंटाइन करते वक्त पूछे गए सवाल में यह जवाब दिया था। जब रिपोर्ट आई तो वे भी चौंक गए क्योंकि उन्हें कोरोना पॉजिटिव आ गया। ऐसे में अब सावधानी रखनी होगी।
भीलवाड़ा में हमारी रेपिड रेंस्पोंस टीम ने जांच की है। इसमें देखा है कई ऐसे मरीज है को कोरोना संक्रमित रोगियों के संपर्क में आए थे। उनमें कोरोना के लक्षण नहीं थे लेकिन उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। ऐसे में सावधानी बरतने की जरुरत है।
डॉ. बीएल मेघवाल, प्रभारी रेपिड रेंस्पोस टीम उदयपुर
जब इंफेक्शन सोसायटी में प्रवेश करता है तो बिना लक्षण के ही वह व्यक्ति दूसरे को संक्रमित कर सकता है। मतलब क्लिनिकली लक्षण नहीं दिखेंगे लेकिन वह खतरा पैदा कर सकता है। अपने यहां बांगड़ जो मरीज थेए उनमें लक्षण थे। कुछ स्टाफ में लक्षण नहीं थे। उनके कुछ परिचितों में लक्षण नहीं थे लेकिन रिपोर्ट पॉजिटिव था। हमने सभी संदिग्ध 05 हजार से ज्यादा लोगों को इसलिए क्वारेंटाइन किया है।
डॉ. अरुण गौड़, पीएमओ, महात्मा गांधी जिला अस्पताल