सरकारी जमीन का दुरुपयोग कई ईंट-भट्टा बगैर अनुमति के चल रहे हैं। इनका किसी भी अधिकारी ने निरीक्षण नहीं किया है। इससे क्षेत्र में पर्यावरण पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। भट्टा संचालन से पूर्व खनिज विभाग व मंडल से अनुमति के साथ पर्यावरण संतुलन के लिए अन्य विभाग से एनओसी अनिवार्य शर्त हैं। अधिकांश भट्टा संचालक बिना एनओसी के चल रहे हैं। कई भट्टा मालिकों ने नाम की चिमनी लगा रखी है। खुले में ईंट पका रहे हैं। इससे विषैले धुएं से लोगों में गंभीर बीमारी का खतरा है। प्रदूषण से बचने के लिए ईंट भट्टों पर मंडल ने जिगजैग चिमनी अनिवार्य कर रखा है। सरकारी व निजी जमीन पर संचालित दर्जनों भट्टा मालिकों ने इस नियम की पालन नहीं की है।
सभी एसडीएम को लिखे पत्र आरपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी दीपक धनेटवाल ने बताया कि चिमनी के अवैध ईंट भट्टों की शिकायतें मिलने पर 16 से 30 दिसंबर तक भीलवाड़ा व शाहपुरा जिले में सर्वे करवाया जाएगा। सभी उपखंड अधिकारियों को पत्र लिखे है। पत्र में कहा कि एनजीटी के विभिन्न आदेशों से राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व जिला अधिकारियों को अवैध ईंट भट्टों के संचालन को प्रतिबंधित करने का निर्देश दिया। मंडल ने अवैध ईंट भट्टों (इन्सुलेशन ईंट भट्टों को छोड़कर) की पहचान कर कार्रवाई का निर्णय लिया। टीम 16 से 30 दिसंबर तक अवैध की पहचान करेगी। उपखंड अधिकारी से टीम की मदद के लिए पटवारी व गिरदावरी से सर्वे करवाने को कहा है। शाहपुरा व भीलवाड़ा जिले में सर्वे करने के लिए टीमों का गठन किया है। टीम का नोडल अधिकारी वरिष्ठ वैज्ञानिक हितेश कुमार उपाध्याय को नियुक्त किया। टीम 30 दिसंबर के बाद अवैध ईंट भट्टों की रिपोर्ट उपाध्याय को पेश करेगी।