दो घंटे चली समझौता बैठक में एडीएम (प्रशासन) ओमप्रकाश मेहरा, एएसपी पारसमल जैन, जिंदल सॉ से एसबी सिन्हा, बनेड़ा एसडीएम, पुलिस उपाधीक्षक मांडल मेघा गोयल, शाहपुरा डिप्टी ओमप्रकाश मौजूद थे। मांडल, बनेड़ा, गंगापुर, आसींद, पुर, बागोर, मांडलगढ़, करेड़ा व पुलिस लाइन से जाप्ता मौजूद था।
जालिया व लापिया क्षेत्र के ग्रामीणों का कहना था कि जिंदल के खनन क्षेत्र में अवैध ब्लास्टिंग के दौरान पत्थर उछलकर घरों में आते थे। मकानों में दरारें आ गई थी। एक मकान गिरने के बाद ग्रामीणों ने जालिया में धरना दिया तथा खनन कार्य बंद करा दिया था। घटना 12 जून 2024 की है। इस मामले को राजस्थान पत्रिका ने प्रमुखता से उठाया था। इसे लेकर समाचार अभियान चलाया था।
यह था ग्रामीणों का आरोप बनेड़ा के जालिया, देवपुरा, चमनपुरा, रामपुरिया, रणिकपुरा व छतरीखेड़ा के ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांवों की चरागाह जिंदल को दे दी गई। कंपनी बिना बताए ब्लास्टिंग करती है। कन्हैयालाल माली ने बताया कि ब्लास्टिंग से जालियां के देवीलाल माली का मकान गिर गया था। मुकेश रेबारी के मकान की दीवार गिर गई थी।
प्रमुख मांगें, जिन पर बनी सहमति -जिंदल को गायों के लिए प्रतिदिन 20 क्विंटल चारा डलवाना होगा। -खदान क्षेत्र में 500 मीटर के दायरे में फसलें खराब पर 30 हजार रुपए प्रति बीघा मुआवजा।
-गांव के 40 युवकों को नौकरी देनी होगी। -गांव में 12 बड़ी सोलर लाइट लगवानी होगी। -पूरी तरह से क्षतिग्रस्त मकान नए बनाएंगे। शेष की मरम्मत होगी। -मौजूदा ठेकेदार को अगस्त तक हटाने पर सहमति बनी।
-2016 से 2020 तक ग्रामीणों को मुआवजा नहीं मिला, वह दिया जाएगा। खनिज विभाग को 25 करोड़ का नुकसान जिंदल का खनन कार्य करीब सात माह बंद रहा। यहां से हर माह 1.50 लाख टन मिनरल निकलता था। यानी 10.50 लाख टन कम निकला। इससे 125 रुपए प्रति टन की रॉयल्टी 13.10 करोड़ विभाग को नहीं मिली। 10.50 लाख टन से 25 प्रतिशत यानी 2.50 लाख टन कंसलट्रेट पर 250 रुपए टन के आधार पर 12.50 करोड़ की रॉयल्टी भी नहीं मिल पाई है। कुल 25 करोड़ के नुकसान को देखते सरकार ने यह सख्त कदम उठाया है।