उन्होंने धर्मग्रंथों, ऋषि वचनों और संस्कृत के श्लोकों के माध्यम से शास्त्रीय प्रमाण रखे। पंडितों ने धर्म सिन्धु, तिथि निर्णय, पुरुषार्थ चिन्तामणि, निर्णय सिन्धु सहित अनेक धर्मग्रंथों और ज्योतिषीय ग्रंथों के शास्त्र सम्मत प्रमाण रखे। देश के अधिकतर पंचांगों में भी एक नवंबर को दीपावली मनाने के मुहूर्त दिए हैं। एक को लक्ष्मी पूजन श्रेष्ठ
पंडित अशोक व्यास के अनुसार अनावश्यक रूप से असमंजस पैदा किया जा रहा है। शास्त्र वचन है कि प्रदोषकाल में लक्ष्मी पूजन श्रेष्ठ है। इस बार दोनों दिन 31 अक्टूबर व 1 नवंबर को अमावस्या तिथि है। शास्त्र सम्मत वचन है कि 1 नवंबर को प्रदोषकाल के बाद एक घटी तक अमावस्या तिथि हो तो दूसरे दिन दीपावली मनाई जाएगी। देश के 80 पंचांगों में एक नवंबर को दीपावली मनाने का मुहूर्त है। लक्ष्मी पूजन में प्रदोषकाल प्रमुख है। दोनों दिन प्रदोषकाल है तो दूसरे दिन दीपावली मनाने का विधान धर्मशास्त्रों में है। दो दिन प्रदोषकाल में अमावस्या है। दूसरे दिन की अमावस्या प्रदोषकाल में एक घटी या इससे अधिक है, तो दीपावली मनाना शास्त्र सम्मत है। व्यास ने भी एक नवंबर को दीपावली मनाना शास्त्र सम्मत बताया।
31 के लिए मांगे प्रमाण पंडितों ने कहा कि जो विद्वान 31 अक्टूबर को दीपावली मनाने की बात कह रहे हैं, वे शास्त्र सम्मत प्रमाण रखें। पंडित अशोक व्यास ने बताया कि नगर व्यास राजेंद्र व्यास के नेतृत्व में पंडितों ने भीलवाड़ा में एक नवंबर को दीपावली मनाने का प्रस्ताव दिया व राज्य सरकार से दीपावली की एक नवंबर को अवकाश घोषित करने मांग की। इस मामले में एडीएम (शहर) प्रतिभा देवठिया को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नाम ज्ञापन दिया। पंडितों ने बताया कि राज्य सरकार ने 31 अक्टूबर को दिवाली अवकाश घोषित किया, जो शास्त्र सम्मत नहीं है।
ज्ञापन देने के दौरान मौजूद ज्ञापन के दौरान बाबाधाम शक्तिपीठ के पंडित योगेंद्र शर्मा, अशोक शर्मा, बालाजी मंदिर के महंत आशुतोष शर्मा, ओम पाराशर, शिव नारायण, दुधाधारी गोपाल मंदिर के पंडित कल्याण मल, दिनेश जोगरास, सुनील पाठक, देवेंद्र चतुर्वेदी, भगवती लाल, कमलेश व्यास, पुष्पेंद्र ओझा, गौरव भट्ट, राकेश पुरोहित, मनोज जोशी, महावीर, रविशंकर, ललित तिवाड़ी , हिमांशु, विनोद, रमेश, सूर्य प्रकाश, छोटू लाल सुल्तानिया दिव्यांशु, कल्याण, शिव प्रकाश, धर्मेश व्यास, प्रहलाद तिवाड़ी, मुकेश शर्मा, रामचरण, अविनाश पालीवाल मौजूद थे।