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सूक्ष्म मूर्ति बनाने के लिए मूर्तिकार अंकुश को पहले ही लिम्का बुक ऑफ द रिकॉर्ड का एवार्ड प्राप्त है। इस दुनिया की सबसे छोटी मां
दुर्गा की प्रतिमा को बनाकर उन्होंने लोगो से अपील की है कि देश में पीने योग्य जल की निरंतर कमी को देखते हुए मूर्तियों को छोटा ही बनायें और उसका विसर्जन समुद्र, नदी या तालाबों में न करें। उन्होंने गांव और नगर निकायों से भी अपील की है कि वे इन प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए अलग से कुंड बनवायें तत्पश्चात उसे पाट दें, ताकि जल प्रदूषित न हो।
ज्ञात हो कि भारत में पीने योग्य जल की कमी पर वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन ने भी गहरी चिंता जताई है। वहीं अनेक बुद्धिजीवी तो यहां तक कहते हैं कि अगला विश्व युद्ध यदि होता है तो वह जल के लिए ही होगा। मूर्तिकार अंकुश देवांगन सिर्फ छोटी मूर्तियां ही नही बनाते बल्कि बड़ी से बड़ी मूर्तियां बनाने के लिए भी जाने जाते हैं।
छः मंजिली इमारत जितना विशाल रथ
छत्तीसगढ़ के दल्ली राजहरा में उन्होंने छः मंजिली इमारत जितना विशाल कृष्ण-अर्जुन-भीष्म पितामह का रथ बनाया है जिसे दुनिया के सबसे बड़े लौहरथ के रूप मे लिम्का बुक में लिया गया है। इसके अलावा देश के अनेक शहरो में उनके द्वारा बनाई गई एक से बढ़कर एक कलाकृतियाँ विद्यमान है। उनके कला की विशेषता है कि वे चार-छह मंजिल इमारत जितनी ऊंची और भव्य होती है।
भिलाई शहर के सिविक सेंटर में कृष्ण-अर्जुन रथ, छोटा परिवार चौक, रूआबांधा का पंथी चौक, बोरिया गेट का प्रधानमंत्री ट्राफी चौक, भिलाई निवास का नटराज, सुनीति उद्यान सेक्टर 8 का एथिक्स पार्क, सेक्टर 1 का श्रमवीर चौक उनके द्वारा बनाई गई कालजयी कलाकृतियां है।