scriptपंडवानी गायिका उषा बारले ने तय किया फल बेचकर गृहस्थी चलाने से लेकर देश के बड़े सम्मान पद्मश्री तक का सफर | Padmashree Pandwani singer Usha Barle sold the first fruit | Patrika News
भिलाई

पंडवानी गायिका उषा बारले ने तय किया फल बेचकर गृहस्थी चलाने से लेकर देश के बड़े सम्मान पद्मश्री तक का सफर

खुशखबर,

भिलाईJan 27, 2023 / 06:38 pm

Abdul Salam

पंडवानी गायिका उषा बारले ने तय किया फल बेचकर गृहस्थी चलाने से लेकर देश के बड़े सम्मान पद्मश्री तक का सफर

पंडवानी गायिका उषा बारले ने तय किया फल बेचकर गृहस्थी चलाने से लेकर देश के बड़े सम्मान पद्मश्री तक का सफर

भिलाई. पंडवानी गायिका उषा बारले 45 साल, निवासी कोहका हाउसिंग बोर्ड से इस क्षेत्र में है। इस बीच उन्होंने आर्थिक तंगी का समय भी गुजारा। उस समय को आज भी याद करती हैं तो उनकी आंखे नम हो जाती है। उन्होंने बताया कि गृहस्थी चलाने के लिए वह सेक्टर-1 की बस्ती में रहकर केला, संतरा व दूसरे फल बेचा करती थी। वह खासा संघर्ष भरा दिन था। इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं माना। पंडवानी गायन के अलावा अनेकों लोक विधाओं में भी वह पारंगत हासिल किए हुए हैं। भारत सरकार ने उन्हें पंडवानी के क्षेत्र में बेहतर काम करने के लिए पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुना है।

तब बदले दिन
उन्होंने बताया कि पति ने पढ़ाई की और फिर आईटीआई किया। इसके बाद उनकी बीएसपी में नौकरी लगी। तब जाकर घर के हालात में सुधार हुआ। ईश्वर की कृपा से पंडवानी गायन के क्षेत्र में लगातार काम किया। इससे देश-विदेश में कार्यक्रम पेश करने का मौका भी मिला

16 साल बाद पूरा हुआ सपना
7 साल की उम्र से इस क्षेत्र में हूं, 1975 में खुर्सीपार में सबसे पहला कार्यक्रम पेश किया। बड़ा मंच मिला था, तब उम्र 8 साल के आसपास थी। गोदी उठाकर मंच में चढ़ाए थे। 2007-08 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किए जाने की उम्मीद थी। तब से यह सपना देख रही थी, अब 16 साल बाद वह ख्वाब हकीकत में बदला है। इसके लिए उन्होंने छत्तीसगढ़ और भारत सरकार का शुक्रिया अदा किया।

विदेशों में भी पेश किया पंडवानी
उन्होंने बताया कि अमेरिका और लंदन के 20 से अधिक शहर में पंडवानी गायन पेश कर चुकी हैं। इसी तरह से भारत के भीतर रांची, असम, गुवाहाटी, राजस्थान, गुना, भागलपुर, ओडिया, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, हैदराबाद, हरियाणा, कोलकाता, जयपुर में पंडवानी गायन से अपनी पहचान बना चुकी है।

पहले मिल चुका है यह सम्मान
उन्होंने बताया कि इसके पहले 2006 में गणतंत्र दिवस पर कार्यक्रम पेश करने पर उन्हें नई दिल्ली में प्रथम स्थान मिला था। अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में सम्मानित किए। न्यूयार्क लंदन कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ शासन ने 2007 पर्यटन विभाग ने सम्मानित किया। दाऊ महासिंग चंद्राकर से भिलाई इस्पात संयंत्र ने सम्मानित किया। तपोभूमि गिरौदपुरीधाम में गुरु विजय कुमार ने 6 बार स्वर्ण पदक से सम्मानित किया। मिनीमाता सम्मान से भी सम्मानित किया गया। छत्तीसगढ़ लोक कला महोत्सव में भुंईया सम्मान, चक्रधर सम्मान (रायगढ़), मालवा सम्मान (कानपुर) में, उत्तर प्रदेश में तात्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने सम्मानित किया था। इस तरह से करीब 2000 से अधिक मर्तबा सम्मानित किया जा चुका है।

https://www.dailymotion.com/embed/video/x8hmdp5

Hindi News / Bhilai / पंडवानी गायिका उषा बारले ने तय किया फल बेचकर गृहस्थी चलाने से लेकर देश के बड़े सम्मान पद्मश्री तक का सफर

ट्रेंडिंग वीडियो