पिता छोड़ गए पहले
शांति नगर में रहने वाले करीब 48 साल के व्यक्ति में कोरोना के पहले लक्षण नजर आए। उनको शंकराचार्य, कोविड केयर सेंटर, जुनवानी में दाखिल किया गया। वहां उनकी तबीयत बिगड़ती चली गई और 8 अक्टूबर 2020 को अंतिम सांस लिया। पिता की मौत से दोनों बेटी और मां सदमें में आ गए। घर के मुखिया के चले जाने से परिवार गम में रोते कलपते दो दिन ही बिताया था। मां की तबीयत बिगड़ गई।
मां और बेटी भी हुए संक्रमित
पिता के जाने से परिवार संभल पाता, उसके पहले ही मां की तबीयत खराब हो गई। सांस लेने में मां को परेशानी हो रही थी, तब उसे आनन-फानन में शंकराचार्य, कोविड केयर सेंटर, जुनवानी में दाखिल किया गया। अस्पताल में उनका इलाज किया जा रहा था, इस बीच छोटी बेटी भी कोरोना संक्रमित हो गई। उसे भी इस अस्पताल में ही दाखिल किया गया।
बच्चे हो गए अनाथ
पिता के बाद मां ने भी 10 दिनों के भीतर दम तोड़ दिया। शनिवार को उनका अंतिम संस्कार नेहरू नगर के कब्रिस्तान में किया गया। पापा की कब्र के ठीक बाजू में मां को दफनाया गया। बच्चे दोनों कब्र से लिपटकर इस तरह बातें कर रहे थे मानो वे सामने मौजूद हों। बेटियां बार-बार मां से कह रही थी कि जल्द लौटकर आने की बात कहकर अस्पताल गई थी मां और छोड़कर चली गई। मौजूद लोगों की आंखे यह सुनकर नम हो गई।
फादर ने बच्चों के लिए मांगी दुआ
पीपीई किट पहनकर फादर ने ईश्वर की ओर हाथ उठाकर मृत आत्मा के लिए दुआ मांगा तेरी अमानत लौटा रहे हैं। जिस मिट्टी से आया उसमें ही मिल जाना है। दोनों बच्चों के आने वाले भविष्य को लेकर भी फादर ने दुआ मांगा। मौजूद लोगों ने भी मृत आत्मा के लिए दुआ मांगा। अंत में दो-दो मुट्ठी मिट्टी देकर सब लौट गए।
कहां है सरकार
कोविड-19 से अगर किसी की मौत होती है। तब बिहार सरकार उस परिवार को ४ लाख रुपए आर्थिक मदद कर रही है। छत्तीसगढ़ में जिनकी कोविड-19 से निजी अस्पताल में मौत हो रही है, उसमें से 8० फीसदी परिवार अस्पताल का बिल चुकाते-चुकाते कर्जा में आ रहे हैं। अब सवाल उठता है कि इस तरह के मामले जिसमें परिवार के दोनों मुखिया ही कोरोना से चल बसे तब परिवार का सहारा कौन बनेगा।