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भिलाई

छत्तीसगढ़ की इस पहाड़ी में है दुर्लभ जड़ी-बूटियों का खजाना, यहां मिलती है दिमाग बढ़ाने वाली दुर्लभ शंखपुष्पी

राजनांदगांव जिले में स्थित एक ऐसी पहाड़ी के बारे में आपको बता रहे हैं, जहां दुर्लभ जड़ी बूटियों का खजाना छिपा है।

भिलाईFeb 23, 2020 / 11:18 am

Dakshi Sahu

छत्तीसगढ़ की इस पहाड़ी में है दुर्लभ जड़ी-बूटियों का खजाना, यहां मिलती है दिमाग बढ़ाने वाली दुर्लभ शंखपुष्पी

छत्तीसगढ़ की इस पहाड़ी में है दुर्लभ जड़ी-बूटियों का खजाना, यहां मिलती है दिमाग बढ़ाने वाली दुर्लभ शंखपुष्पी

राजनांदगांव / डोंगरगांव. छत्तीसगढ़ का पर्यटन अपने आप में अजूबा है। यहां कई ऐसी अजब-गजब दुनिया समाई हैं जिसमें इतिहास के साथ विज्ञान की संभावनाएं छिपी है। ऐसी ही एक जगह का जिक्र आज कर रहे हैं। राजनांदगांव जिले में स्थित एक ऐसी पहाड़ी के बारे में आपको बता रहे हैं, जहां दुर्लभ जड़ी बूटियों का खजाना छिपा है। डोंगरगांव ब्लॉक मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर दूर ग्राम तिलईरवार में महादेव पहाड़ी (Mahadev hill Rajnandgaon) जिसे स्थानीय भाषा में महादेव डोंगरी के नाम से जाना जाता है । इस पहाड़ी में भगवान शिवशंकर के सानिध्य में दुर्लभ जड़ी बूटियों का खजाना है। बता दें कि यहां सैकड़ों वर्ष पुरानी महादेव की प्राचीन मूर्तियां भी है। वहीं विशेष मौके पर वैद्य समुदाय भगवान शंकर का आशीर्वाद लेकर लोगों के इलाज के लिए यहां से जड़ी बूटी इक_ा करते हैं।
वैद्य समुदाय के लोगों का तीर्थ स्थल है ये पहाड़ी
क्षेत्र के वैद्य महेश गंजीर ने बताया कि महादेव पहाड़ी में बड़ी मात्रा में दुर्लभ प्रजाति के पेड़-पौधे और जड़ी बूटियां उपस्थित है। इनकी जानकारी जिन्हें भी है वहां से अपने रोगों को ठीक करने के लिए जड़ी-बूटी ले जाते हैं। वहीं नाग पंचमी और ऋषि पंचमी के समय भी विशेष तौर पर वैद्य समुदाय यहां पहुंचता है। क्षेत्र के ग्रामीण कार्तिक मंडावी सहित अन्य ने बताया कि यहां की जड़ी बूटियों को बेचकर भी लोग अपनी रोजी-रोटी चलाते हैं। इस पहाड़ी में मंदिर के समीप मैदान में बहुत ही दुर्लभ शंखपुष्पी का पौधा मिलता है। सफेद और नीले दुर्लभ शंखपुष्पी का उपयोग दिमाग तेज करने के लिए दवा बनाने में किया जाता है।
छत्तीसगढ़ की इस पहाड़ी में है दुर्लभ जड़ी-बूटियों का खजाना, यहां मिलती है दिमाग बढ़ाने वाली दुर्लभ शंखपुष्पी
यहां पहुंचने के हैं दो मार्ग
राजनांदगांव जिला मुख्यालय से नागपुर रोड में टप्पा होते हुए ग्राम तिलईरवार से पहाड़ी पर विराजित भगवान शिव के दर्शन कर सकते हैं। ब्लॉक मुख्यालय डोंगरगांव से मारगांव, गिरगांव होते हुए माहुलझोपड़ी के समीप से इस महादेव डोंगरी मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।
सैकड़ों फीट ऊंचे पहाड़ में है प्राचीन मंदिर
भगवान शिव की अलौकिक प्रतिमा प्रकृति की गोद में बसे छोटे से पहाड़ी में स्थित जहां पहले मां आदिशक्ति दुर्गा की दिव्य प्रतिमा स्थापित है। साथ ही ज्योति कक्ष भी है, यहां चैत्र व क्वांर नवरात्र में ज्योति कलश प्रज्जवलित स्थापित होती है। समीप ही भगवान शंकर का मुख्य मंदिर है, जिसके आस-पास का दृश्य अद्भुत है। महाशिवरात्रि व नागपंचमी सहित अन्य अवसरों पर यहां भगवान शिव की पूजा होती है। लोग अपनी मनोकामना पूर्ण करने यहां पहुंचते हैं।
महादेव डोंगरी का क्षेत्र रहस्यों से भरा
अंचल के लोगों की मान्यता है कि महादेव पहाड़ में विराजे भगवान शंकर और मां शीतला के दर्शन मात्र से सभी मनोकामना पूर्ण होती है। विशेषकर संतान प्राप्ति के लिए भक्त दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं। वहीं मंदिर के पुजारी नेमूचंद ने बताया कि भगवान शिव की प्रतिमा और महादेव डोंगरी का क्षेत्र रहस्यों से भरा है और जिसका अनुभव वे हमेशा करते हैं।
पर्यटन और शोध की है प्रबल संभावनाएं
महादेव पहाड़ी में बहुत से रहस्य छुपा हुए हैं। यहां पर शोध की आवश्यकता है जिससे नई-नई जानकारियां निकलकर सामने आएंगी। वहीं ऊपर पहाड़ी से दिखने वाला दृश्य बहुत ही मनोरम है। मंदिर के आसपास बड़ा मैदानी इलाका है जहां उद्यान और पानी की व्यवस्था हो जाए, तो एक अच्छा पर्यटन स्थल साबित होगा। पानी की परेशानी को देखते हुए स्थानीय विधायक के द्वारा इसकी व्यवस्था कराने की बात कही गई है।
प्रकृति का है अद्भुत नजारा
महादेव डोंगरी नाम से ही प्रतीत होता है, भगवान शंकर जहां विराजते हैं वहां का दृश्य अलौकिक ही होगा, इसका साक्षात प्रमाण यह पहाड़ी है। इस स्थल पर एक शिला भी है जिस पर गर्मी में बैठने पर शीतलता का एहसास होता है। ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार महादेव पहाड़ी में एक गुफा है, जहां प्राचीन समय में महादेव की पूजा-अर्चना होती थी। नगाड़े बजाए जाते थे। जिसका प्रमाण आज भी हैं। कुछ का मानना है कि गुफ ा का द्वार अब संकरा हो चुका है, जिससे अंदर जा पाना मुश्किल होता है।

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