जिले में 1 लाख25 हजार किसान परिवार करीब 1 लाख27 हजार हेक्टर रकबे में खरीफ की फसल लेते हैं। इनमें से करीब आधे किसान धान की कटाई के बाद अवशेष छोड़ देते हैं। जिन्हें या तो जला दिया जाता है, अथवा सूखकर सडऩे के लिए छोड़ दिया जाता है। जिले के मैदानी इलाकों में पुआल जलाने की शिकायत ज्यादा रहती है।
चयनित किसान द्वारा फसल अवशेष के प्रबंधन कार्य का मोबाइल एप से सत्यापन किया जाएगा। इसके लिए मोबाइल से प्रबंधन की प्रक्रिया की फोटो खींचकर एप पर जियो टैग के माध्यम से अपलोड किया जाएगा। इस आधार पर नियमानुसार प्रबंधन की पुष्टि होने पर राशि स्वीकृत की जाएगी।
प्रबंधन के जियो टैगिंग के बाद उप संचालक कृषि द्वारा भौतिक सत्यापन किया जाएगा। इसके बाद राशि स्वीकृत कर संबंधित किसान के बैंक खाते में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटीएल) के माध्यम से डाल दिया जाएगा। इससे लिए पंजीयन के समय किसानों को बैंक खाते की जानकारी भी जमा कराना होगा।
योजना का लाभ प्रथम आएं प्रथम पाएं के आधार पर, पहले 20 फीसदी किसानों को मिलेगा। लघु व सीमांत, अनुसूचित जाति, जनजाति व महिला किसानों को प्राथमिकता दी जाएगी।1 नवंबर से 15 दिसंबर के बीच ग्राम सभा में नाम अनुमोदित कराकर कृषि विभाग में पंजीयन। पंजीयन के साथ जरूरी दस्तावेज व बैंक खाता की जानकारी।पंजीयन के बाद सूची का अनुमोदन जिला व जनपद पंचायत के कृषि स्थायी समिति द्वारा कराई जाएगी। खरीफ के अलावा रबी फसल के बाद भी अवशेष प्रबंधन पर किसानों को आर्थिक लाभ मिलेगा।