CG Hospital: सीजीएमएससी के टेंडर की पड़ताल से सामने आया कि सीजीएमएससी ने बीते दो दशक में पहली बार केमिकल की सप्लाई के लिए जो ओपन टेंडर जारी किए हैं, उसमें कोई भी लोकल सप्लायर भी सप्लाई कर सकता है। तकनीकी तौर पर जिस ब्रांड की ऑटोमेटिक या सेमी ऑटोमेटिक मशीनें हैं, उसी कंपनी का केमिकल डाला जाना चाहिए। मशीनों में बार कोडिंग भी इसीलिए की जाती है ताकि रिपोर्ट सटीक और सही मिले। दूसरी कंपनी के केमिकल डालने से मशीन रीडिंग गलत बताने लगती है।
CG Hospital: 300 से अधिक किस्म के केमिकल
ब्लड एनालाइजर, फुली बायोकेमिस्ट, सेमी ऑटो एनालाइजर, यूरिन एनालाइजर आदि मशीनों में करीब 300 तरह के केमिकल लगते हैं। एम्स दिल्ली समेत सभी बड़े अस्पताल में प्रोपरायटरी मशीनों के ये केमिकल उन्हीं कंपनी से लिए जाते हैं जो इन मशीनों का निर्माण करती हैं या निर्माता कंपनी जिस फर्म को केमिकल सप्लाई के लिए अधिकृत करती है। छत्तीसगढ़ में भी यही नियम है। प्रोपराइटरी प्रोडक्ट के रीफिल या जरूरी सामग्री निर्माता कंपनी या उसके द्वारा अधिकृत कंपनी से ही लिए जाएं। ओपन टेंडर है, सही कीमत में सप्लाई होगी
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा ओपन और क्लोज सिस्टम होता है। ओपन सिस्टम में किसी भी कंपनी के केमिकल का उपयोग कर सकते हैं। क्लोज में जिस कंपनी की प्रोपराइटी है, उसी के केमिकल का उपयोग होता है। क्लोज सिस्टम में लेंगे तो ओपन का केमिकल अंदर जाएगा ही नहीं। टेस्ट ही नहीं होगा। छत्तीसगढ़ में जो मशीन लगी है, वह ओपन है। ऑटोमेटिक मशीनों की एक्सपर्ट कमेटी से जांच करवा लिए हैं। सरकार पारदर्शिता लाने और सही कीमत में केमिकल सप्लाई के ओपन टेंडर की है। शासन के आदेश पर जांच करवाए हैं। रिपोर्ट प्रभावित नहीं होगी।
बाकी टेंडर में प्रोपॉयटरी नियमों का पालन
सीजीएमएससी ने पैथालॉजी जांच करने वाली मशीनों के लिए जो टेंडर निकाले हैं, केवल उनमें ही शासन के प्रोपॉयटरी प्रोडेक्ट्स को लेकर बनाए गए नियमों का पालन नहीं किया है। जबकि बाकी उपकरणों आदि के लिए जो टेंडर निकाले हैं, उनमें प्रोपॉयटरी नियमों का पालन किया गया है।
पैथालॉजिकल टेस्ट के केमिकल को छोड़कर बाकी जो भी प्रोपरायटरी आइटम के टेंडर जारी हुए हैं, उनमें निर्माता कंपनी से ही खरीदी हो रही है। प्रोपॉयटरी प्रोडेक्ट्स के लिए शासन के जो मान्य नियम हैं वो सभी तरह के टेंडरों पर लागू किए जाने चाहिए।
एक साल से टेंडर प्रक्रिया उलझी
पिछले एक साल से सीजीएमएससी में लगभग न के बराबर रेट कांट्रेक्ट और वर्क आर्डर हुए हैं। प्रदेश में 2023 में विधानसभा और फिर 2024 में लोकसभा चुनाव की दो लगातार आचार संहिता के कारण सरकारी दवा क्रेता कंपनी पिछले एक साल से बहुत सारे जरूरी टेंडर निकाल नहीं पाई है।
इसके कारण भी ये परेशानी आ रही है। लेकिन शासन के नियमों की अनदेखी कर जो टेंडर निकाले जा रहे हैं, उसको लेकर बड़ी हैरानी भी हो रही है। सरकारी दवा क्रेता कंपनी हर साल 700 से 800 करोड के दवाओं उपकरण की खरीदी करती है। जिसमें करीब 10 से 20 प्रतिशत तक खरीदी पैथालॉजी लैब के जांच उपकरणों में डाले जाने वाले केमिकल की रहती है।