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श्रमिक जिस विभाग का हिस्सा है, उसे उसी विभाग के कार्यों की ट्रेनिंग मिलेगी। विभाग के मशीनी कार्यों की थ्योरिटिकल जानकारी से लेकर मशीनों का प्रैक्टिकल नॉलेज भी दिया जाएगा। प्रशिक्षण का मकसद, अप्रशिक्षित ठेका कर्मियों को उनका काम बेहतर तरीके से समझाना है। अभी की व्यवस्था में ठेकेदार ठेका श्रमिक को संयंत्र के किसी भी विभाग में काम दिलवा देता है। ठेका श्रमिक जिस विभाग में रखा जाता है, उसे वहां के कामकाज की कोई जानकारी नहीं होती है। संयंत्र के खतरों से वह बिल्कुल अंजान होता है। इसी वजह से संयंत्र में आए दिन दुर्घटनाएं होती है।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम से 22 हजार ठेका श्रमिकों को जोड़ने का खर्च
बीएसपी वहन करेगा। प्रति ठेका श्रमिक की ट्रेनिंग के लिए एक घंटे के 49 रुपए खर्चा होंगे। बीएसपी बारी-बारी से हर विभाग के ठेका श्रमिकों की ट्रेनिंग करेगा। यह फंड बीएसपी किस मद से जारी करेगा, इसको लेकर फिलहाल कोई निर्णय नहीं हो पाया है। इस प्रोजेक्ट को लेकर कागजी कार्रवाई शुरू हो गई है।
टेक्नोलॉजी सेंटर के अधिकारियों ने बताया कि, बीएसपी के हर विभाग में ट्रेनिंग देने विशेष एक्सपर्ट की टीम तैयार की जानी है। इसमें से कुछ एक्सपर्ट सेंटर से होंगे वहीं कुछ को आउटसोर्स कर इस मुहिम से जोड़ा जाएगा। अगले कुछ महीनों में प्रोजेक्ट के अमल में आने की कयास लगाई जा रही है।
एमएसएमई टेक्नोलॉजी सेंटर दुर्ग के ट्रेनिंग मैनेजर जजाती केसरी ने कहा मोहंती बीएसपी के 22 हजार ठेका श्रमिकों को प्रशिक्षण देने का निर्णय लिया गया है। इसकी डिमांड भिलाई इस्पात संयंत्र से ही आई है। टेक्नोलॉजी सेंटर के पास सभी विषयों के एक्सपर्ट मौजूद हैं, जो ठेका श्रमिकों को ट्रेनिंग देंगे।
कौन देगा प्रशिक्षण और कैसे?
ठेका श्रमिकों को प्रशिक्षित करने के लिए बीएसपी ने दुर्ग टेक्नोलॉजी सेंटर के साथ एमओयू किया है। सेंटर लॉन्ग टर्म प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार कर रहा है। इसमें मैकेनिकल मेंटेनेंस, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक मेंटेनेंस जैसे ट्रेड को शामिल करते हुए ठेका श्रमिकों को प्रशिक्षित करेंगे। जिन श्रमिकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा, उनकी ट्रेनिंग के बाद टेक्नोलॉजी सेंटर से सामान्य परीक्षा होगी। देखा जाएगा कि उन्हें जो सिखाया गया है, उन्होंने उसे कितना बेहतर तरीके से सीखा। प्रशिक्षण के बाद श्रमिकों को प्रमाण पत्र देकर सर्टिफाइड करेगा। जिस तरह वर्तमान समय में अप्रशिक्षित ठेका विभिन्न विभागों में काम कर रहे हैं, वैसा सर्टिफिकेशन के बाद नहीं होगा, बल्कि ठेका श्रमिक को जिस स्ट्रीम की ट्रेनिंग दी गई है, उसे उसी विभाग में पदस्थ किया जाएगा।
ट्रेनिंग से क्या होंगे बीएसपी को फायदे
ठेका श्रमिक अप्रशिक्षित हैं, जिस वजह से कार्य में दक्षता और गुणवत्ता नहीं आ पाती, ट्रेनिंग के बाद वही ठेका श्रमिक अपने जॉब वर्क को बेहतर तरीके से अंजाम दे पाएंगे। ठेका श्रमिक के स्किल्ड होने के बाद बीएसपी के पास डाटा होगा कि कौन सा काम कौन से श्रमिक कर सकते हैं। जरूरत पड़ने पर उन्हें अपने कार्यों में इस्तेमाल किया जा सकेगा। वर्तमान में ठेकेदार श्रमिकों को किसी विभाग में हस्तांतरित कर देता है, जिससे नई जगह काम में नया होता है। इस वजह से कई बार बीएसपी को दिक्कतें आती है, वेस्टेज भी बढ़ जाता है। प्रशिक्षण के बाद वेस्ट व वर्कफोर्स मैनेजमेंट तक आराम से मैनेज कर पाएगा।