नर सेता है अंडों को
ईमू बर्ड की प्रजाति में यह खास खासियत होती है कि उनमें अंडों को सेने का काम मादा नहीं, बल्कि नर करता है। अंडे की हिफाजत नर ईमू करता है। अंडे के आसपास बाड़े में वह खुद घूमता रहता है ताकि उसे कोई नुकसान न पहुंचा सके। चूजे निकलने के बाद ही वह अंडों को छोड़ता है। मैत्रीबाग में दो ईमू बर्ड है, दोनों ही अंडों में नहीं बैठ रहे हैं। इससे आशंका है कि दोनों ही मादा है।
ईमू 60 साल तक रहता है जिंदा
ईमू बर्ड 8 माह में 4 फीट से ज्यादा लंबा हो जाता है। एक ईमू पक्षी 60 वर्ष तक जिंदा रह सकता है। जू प्रबंधन की तमाम कोशिशों को बावजूद अब तक अंडों से चूजे नहीं आए। इसकी वजह से ईमू बर्ड की संख्या नहीं बढ़ पा रही है। इस बार बाड़े में ही अंडों को रहने दिया जा रहा है, उसे मैत्रीबाग के कर्मचारी छू भी नहीं रहे हैं।
अंजोरा वेटरनरी कॉलेज में भी कर चुके प्रयास
जू प्रबंधन ने पूर्व में अंजोरा वेटरनरी कॉलेज में भी ऑस्ट्रेलिया के ईमू बर्ड के अंडों को भेजकर उसे मशीन से सेने की कोशिश किए थे। वहां भी सफलता नहीं मिली। इसके बाद दुर्ग में भी एक स्थान पर इसके लिए कोशिश की गई। वहां भी असफल रहे हैं।
अंडे को लेकर यह भी कर रहे विशेषज्ञ
विशेषज्ञों का कहना है कि मादा ईमू बर्ड अंडा दे रही है। वहीं नर नहीं होने से अंडों में जान नहीं है। इसके साथ-साथ सेने का काम नर ही करते हैं। अगर नर है तो वह अंडों के आसपास किसी को भी भटकने नहीं देगा।
घटते जा रहे ईमू बर्ड
मैत्रीबाग में ईमू बर्ड अंडा दे रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी बढऩे की जगह धीरे-धीरे कम होते जा रहे हैं। यही वजह है कि प्रबंधन एक्सचेंज में ईमू बर्ड का जोड़ा लाने के प्रयास में है।