डीग. अखिल भारतीय चतुर्थ संप्रदाय विरक्त वैष्णव साधु समाज ने संतों के नाम पर खनन बंद करने को लेकर चल रहे अनशन आंदोलन को बन्द कराने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री के नाम जिला कलक्टर को ज्ञापन दिया।
ज्ञापन में उल्लेख किया है कि पहाड़ी व नगर उपखण्ड के कई क्षेत्रों में सरकार की ओर से नियमानुसार जारी की गई वैधानिक लीजों को अवैध खनन बता कर कुछ साधु संत गांव पसोपा में आंदोलन कर रहे हैं। आंदोलनरत लोगों की ओर से बिना सरकार की अनुमति व कोरोना गाइडलाइन की पालना किए बिना ही इस तरह का आंदोलन, धरना व प्रदर्शन किया जा रहा है और लोगों की भावनाओं को भड़काया जा रहा है। सरकार की वैधानिक लीजों को अवैध खनन बताकर यह कथित संत अवैध वसूली करना चाहते हैं। बृज के धार्मिक स्थलों की रक्षा के लिए वर्ष 2008 में बृज क्षेत्र कामां में धार्मिक स्थलों में पर्वतों की रक्षा के लिए संतों ने आंदोलन किया था। इसमें सभी की प्रमुख भूमिका रही थी। उस समय सरकार ने संतों की मांगों पर गंभीरता दिखाते हुए धार्मिक स्थलों की रक्षा का संकल्प दोहराते हुए ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा मार्ग की परिधि में आने वाली 216 खानों को बंद कर इस क्षेत्र को वन संरक्षित घोषित कर दिया था और पहाड़ी कैथवाडा क्षेत्र में वैधानिक लीजें जारी कर दी थी। 2008 में हुए समझौते के दौरान मान मंदिर बरसाना के राधा कांत शास्त्री व हरिबोल दास सहित अन्य ने सरकार के सामने ब्रज चौरासी कोस का जो नक्शा पेश किया था, सरकार ने उसे स्वीकार करते हुए संतो की बताई खानों को बन्द कर दिया था और खनन पर रोक लगा दी थी, लेकिन अचानक अब 12 -13 वर्ष बाद समझौते में शामिल वही कथित लोग समझौते के विरोध में जाकर आंदोलन करने लग गए। संतों के नाम पर जो आंदोलन चलाया जा रहा है उसको संत समाज का समर्थन प्राप्त नहीं है और न कोई संत अखाड़ा इस आंदोलन में शामिल है। आंदोलन करने वाले लोग वैधानिक खनन व्यवसायियों से कमीशन की मांग कर रहे हैं। ऐसे गिरोह के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और इन पर लगाम लगाई जाए। सात दिवस में लगाम नहीं लगाई गई और इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई तो हम सभी संतों को जयपुर आकर मुख्यमंत्री से मुलाकात कर वस्तु स्थिति से अवगत कराना पड़ेगा। इस अवसर पर संत मुनीश्वर, हरिया बाबा आदि उपस्थित थे। इससे पूर्व संत मुनीश्वर ने मामले को लेकर जिला कलक्टर से बात की।