रिपोर्ट में बताईं ये गड़बड़ी सार्वजनिक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता (गुण नियंत्रण) जसवंतलाल खत्री की ओर से छह अगस्त 2024 को यूओ नोट में चार बिंदुओं में उक्त सडक़ की गड़बडिय़ों का खुलासा किया है। इसमें बताया है कि 19 स्थानों में से 10 स्थानों पर सीमेंट कंक्रीट सडक़ की मोटाई निर्धारित मापदंडों से कम पाई गई है। 19 स्थानों में से 16 स्थानों पर कम्प्रेशिव स्ट्रेन्थ निर्धारित मापदंडों से कम पाई गई है। 34 स्थानों में से 22 स्थानों पर डीबीएम बीसी की मोटाई निर्धारित मापदंडों से कम पाई गई है। सभी 34 स्थानों पर बिटूमन की मात्रा निर्धारित मापदंडों से कम पाई गई है। उक्त संबंध में संवेदक व संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की व्यवस्था कराएं।
तीन अधिकारियों पर गिर चुकी गाज इसी प्रकरण में राज्य सरकार की ओर से तीन अधिकारियों पर 11 सितम्बर 2024 को गाज भी गिर चुकी है। इसमें एक्सईएन, एईएन व जेईएन को निलंबित किया गया था। शासन संयुक्त सचिव कैलाश नारायन मीना ने सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिशाषी अभियंता रूपेश कुमार, तकनीकी सहायक एवं सहायक अभियंता हरिओम गुप्ता, कनिष्ठ अभियंता हैप्पी सिंह को निलंबित कर मुख्यालय सार्वजनिक निर्माण विभाग जयपुर किया था। इसमें भी सामने आया था कि प्रमुख शासन सचिव के आदेश पर मुख्य अभियंता (गुण नियंत्रण) सार्वजनिक निर्माण विभाग कमेटी गठित कर चुके थे, लेकिन अधिकारियों ने रसूख के दबाव में जांच तक नहीं की। इसमें कार्रवाई के आदेश के बाद भी कुछ नहीं किया गया।
अगर जांच कराएं तो हो सकता है बड़ा खुलासा अगर पिछले चार-पांच साल के अंदर भरतपुर व डीग जिला समेत शहरी इलाकों में हुए निर्माण कार्यों की पड़ताल की जाए तो सामने आता है कि सडक़ों के निर्माण पर विवाद होते रहे हैं। कहीं बनी हुई सडक़ पर ही दुबारा खानापूर्ति के लिए निर्माण किया गया तो कहीं घटिया निर्माण सामग्री का उपयोग किया गया, लेकिन रसूखदार नेताओं केे दबाव में कभी कार्रवाई नहीं की गई। अगर पिछले कुछ वर्ष के अंदर हुए करोड़ों रुपए के विकास कार्यों की जांच कराई जाए तो बड़े घोटाले का खुलासा हो सकता है, लेकिन इस बार दोषी और जिम्मेदार, दोनों की ही चुप्पी बड़ा सवाल खड़ा कर रही है।