हम बात कर रहे हैं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) की। एनसीआर प्लानिंग बोर्ड ने हाल ही 1 हजार करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की है। इसमें भरतपुर (Bharatpur News) को भी विकास कार्यों के लिए पैसा मिलेगा।
भारत सरकार के वित्त मंत्रालय की ओर से स्पेशल असिस्टेंस टू स्टेटस फोर कैपिटल इन्वेस्टमेंट योजना के अंतर्गत एनसीआर में सम्मिलित तीन प्रदेशों के लिए 1 हजार करोड़ रुपए आर्थिक सहायता स्वीकृत की है। एनसीआर प्लानिंग बोर्ड की इस राशि का उपयोग ट्रोमा केयर नेटवर्क विकसित करने की योजना है।
पूंजी निवेश के लिए राज्यों को विशेष सहायता योजना 2024-25 के तहत वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने इस राशि को मंजूरी दे दी है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के विकास के लिए यह राशि एनसीआरपीबी की ओर से भाग लेने वाले तीन राज्यों हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान को समान रूप से वितरित की जाएगी। इसमें
राजस्थान के लिए 333.3 करोड़ की राशि भरतपुर-अलवर एनसीआर क्षेत्र के लिए होगी।
अस्पताल होंगे हाईटेक
इससे जिला अस्पताल में एंबुलेंस की सुविधा भी शुरू की जाएगी। साथ ही जहां हेलीपैड उपलब्ध है, उनमें सुधार किया जाएगा और जहां हेलीपैड नहीं हैं, वहां द्वितीय चरण में हेलीपैड भी विकसित किया जाएगा। हेलीपैड के निकट श्रेष्ठ अस्पतालों का चिह्नीकरण कर सुदृढ़ ट्रोमा केयर नेटवर्क विकसित करने के लिए मोबाइल एप भी विकसित किया जाएगा, जो लोकेशन के आधार पर काम करेगा। इससे आमजन को निकटवर्ती ट्रोमा सुविधाओं की उपलब्धता की जानकारी मिल सकेगी और त्वरित उपचार संभव हो सकेगा।
इस राशि से जिला मुख्यालय के राजकीय अस्पताल को फास्ट ट्रेक के रूप में अपग्रेड करने की योजना है, इससे ट्रोमा की सुविधा क्रमोन्नत की जाएगी। इसके अलावा एडवांस ब्लड बैंक भी बनाया जाएगा।
इससे इतर राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम, एम्बुलेंस की उपलब्धता, ब्लड स्टोरेज एवं ट्रांसफ्यूजन की सुविधा भी आमजन को मिलेगी। योजना के द्वितीय चरण में अधिक हॉस्पिटल और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों को शामिल करते हुए सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा।
घटा दी गई है सीमा, नहीं निकला हल
पूर्व में दिल्ली से एनसीआर की सीमा 175 किमी की गई थी, जिसे अक्टूबर 2023 में घटाकर 100 किमी कर दिया गया। इसके बाद भी इस पर कोई अमल नहीं हो सका है। एनसीआर-टीटीजेड में शामिल होने का असर यह है कि वायु प्रदूषण बढ़ते ही यहां लगे करीब 125 भट्टों को हर साल कुछ माह के लिए बंद कराया जाता है।
साथ ही यहां तेल उद्योग पर भी इसका विपरीत असर पड़ रहा है। एनसीआर की परमिशन के अभाव में यहां नए उद्योग नहीं लग पा रहे हैं। बयाना क्षेत्र में बहुतेरे क्रशर उद्योग इसकी मार सहते-सहते बंद हो गए। दुपहिया एवं चौपहिया वाहनों की बात करें तो यहां 10 साल डीजल एवं 15 साल पेट्रोल वाहन की लाइफ तय है।