भरतपुर संभाग में चार जिले शामिल हैं। इन चार जिलों में भाजपा के लिए वर्ष 2008 से ही बहुत ज्यादा अच्छे परिणाम नहीं आए हैं। इन चार जिलों की 19 विधानसभा सीटों में से एक भी सीट ऐसी नहीं रही है, जिस पर भाजपा 2008 से लेकर 2018 तक हुए तीन विधानसभा चुनावों में लगातार जीत दर्ज कर पाई हो।
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कार्यकर्ताओं को देंगे सफलता के टिप्स
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शनिवार को एमएसजे कॉलेज खेल मैदान में आयोजित संभाग स्तरीय बूथ कार्यकर्ता सम्मेलन में नीट जीती शामिल होंगे। वे यहां 25 हजार कार्यकर्ताओं को सफलता के टिप्स देंगे। इससे पहले शाह एक होटल में नागौर व दौसा जिले के चुनिंदा कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे। कार्यकर्ता सम्मेलन दोपहर दो बजे से शुरू होगा। इसमें प्रत्येक बूथ के पांच कार्यकर्ताओं को बुलाया गया है। इसमें एक बूथ अध्यक्ष, महामंत्री, पालक, युवा संयोजक व महिला संयोजक शामिल होंगे।
2018 के चुनाव में हुई थी भाजपा की बुरी हार
प्रदेश में 2018 में विधानसभा चुनाव हुए थे। भरतपुर संभाग के भरतपुर, धौलपुर, करौली और सवाईमाधोपुर जिले की 19 सीटों के परिणाम भाजपा के लिए बुरे सपने जैसे ही रहे थे। भाजपा भरतपुर, करौली और सवाईमाधोपुर में तो खाता ही नहीं खोल पाई थी, जबकि धौलपुर में एक सीट पर भाजपा का विधायक चुन कर आया था। पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते भाजपा धौलपुर विधायक शोभारानी कुशवाह को भी निष्कासित कर चुकी हैं। आज की िस्थति देखी जाए तो भाजपा का इन चारों जिलों में एक भी विधायक नहीं है।
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संभाग में किस जिले में कितनी सीटें
भरतपुर- 7
धौलपुर- 4
करौली- 4
सवाईमाधोपुर- 4
भरतपुर संभाग की कौनसी विस सीट भाजपा की किस श्रेणी में
ए श्रेणी- एक भी नहीं
बी श्रेणी- नगर, भरतपुर, नदबई, वैर, बयाना, बसेड़ी, धौलपुर।
सी श्रेणी- कामां, डीग-कुम्हेर , राजाखेड़ा, हिंडौन, करौली, गंगापुर सिटी, बामनवास, सवाईमाधोपुर, खंडार।
डी श्रेणी- बाड़ी, टोडाभीम, सपोटरा।
इस तरह से बनाई है श्रेणी
भाजपा ने वर्ष 2008 से लेकर वर्ष 2018 तक हुए तीन विधानसभा चुनाव के परिणामों के आधार पर 200 सीटों काे चार श्रेणी में बांटा है। ए श्रेणी में उन सीटों को रखा गया है, जो लगातार तीन विधानसभा चुनावों में भाजपा जीतती आ रही है। बी श्रेणी में उन सीटों को रखा गया है, जहां पार्टी तीन में से दो बार जीत चुकी है। सी श्रेणी में उन सीटों को रखा गया है, जहां तीन चुनावों में से एक बार जीत हुई हो और डी श्रेणी में उन सीटों को रखा गया है, जहां तीनों चुनावों में भाजपा एक बार भी नहीं जीत सकी है।