एक पीड़ित ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि छह अप्रेल की शाम उनके बेटे को जयपुर में पढ़ रहे उनके पोते के नाम पर फोन आया, जिसमें फोन करने वाले ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताया। हालांकि वे सतर्क होने के कारण जालसाजी से बच गए। इन सब घटनाओं के बाद भी अब तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि इन साइबर ठगों के पास बच्चों से संबंधी पूरी जानकारी कहां से पहुंच रही है।
इसी तरह मुखर्जी नगर निवासी योगेंद्र ने बताया कि चार अप्रेल की शाम 7.14 बजे व्हाटसअप कॉल आया। नंबर पर एक पुलिस अधिकारी की डीपी लगी थी। वह पूरे रौब में बोला कि मैं सीबीआई से दुर्जन सिंह बोल रहा हूं। आपका बेटा बाहर पढ़ रहा है, हॉस्टल में रहता है। वह गड़बड़ कर रहा है। जब उन्होंने शांति से बात करने की बोला तो खुद को सीबीआई का अधिकारी बता रहा शख्स भडक़ गया। हालांकि योगेंद्र को ऐसे कॉल के संबंध में जानकारी होने के चलते वे जालसाजी से बच गए। उन्होंने तत्काल अपने बेटे से बात की तो उसने बताया कि इस तरह का कोई घटनाक्रम नहीं हुआ है। वह सुरक्षित है। उनके बेटे ने बताया कि उसके दोस्त के परिजनों को इस तरह के फोन आए थे।
1. प्लस-91 के अलावा आने वाले अनजान नंबर से आने वाले कॉल, व्हाट्सएप कॉल, वीडियो कॉल, टेलीग्राम कॉल न उठाएं।
2. अपने परिवार व बच्चों संबंधी जानकारी न किसी के साथ साझा न करें।
3. फोन आने पर घबराएं नहीं, समझदारी से काम लें और सबसे पहले जिसके नाम पर डराया जा रहा है उससे संपर्क करें।
4. यदि आपके साथ कोई सायबर अपराध घटित होता है तो उसकी शिकायत सायबर क्राइम हेल्प लाइन टोल फ्री नंबर 1930 पर करें।
5. भारतीय कानून में डिजटल अरेस्ट का कोई नियम नहीं है।
6. अपनी निजी जानकारी जैसे बैंक खाते संबंधी, आधार, पेनकार्ड आदि किसी के साथ साझा न करें।