मोरीचार बाग निवासी नरेन्द्र कुमार जिन्दल की पत्नी गुंजन गुप्ता की लंबे समय से बीमारी से जूझ रही थीं। उनकी दोनों दोनों किडनी 3 तीन साल पहले खराब घोषित कर दी गईं। ऐसे में करीब दो साल तक जयपुर एवं भरतपुर में इलाज चला। अब एक साल से गुंजन की डाइलसिस चल रही थी। इलाज के दौरान भी गुंजन की दिन-प्रतिदिन हालत खराब हो रही थी। बीपी-शुगर भी अप-डाउन हो रहा था। इसके बाद जयपुर के डॉ. धनंजय अग्रवाल ने किडनी ट्रांसप्लांट कराने की सलाह दी तो पति ने अपनी किडनी देकर पत्नी की जान बचाई।
दुकान बंद हुई, चढ़ रहा था कर्ज
नरेन्द्र कुमार बताते हैं कि पत्नी की जान जोखिम में थी। गुंजन ुप्ता के पति नरेन्द्र कुमार जिन्दल बुध की हाट में में इ-मित्र संचालक हैं। ऐसे में घर की माली हालत भी सही नहीं थी। पत्नी की बीमारी के कारण दुकान भी खुल नहीं पा रही थी और कर्ज भी चढ़ रहा था। दो बेटियों में से बड़ी बेटी डिम्पी जिन्दल 11वीं में तथा छोटी बेटी याशिका दसवीं क्लास में पढ़ रही है। इस बीच हर माह 40 हजार की दवाई चल रही थी। पत्नी की ज्यादा तबियत खराब हुई तो किडनी ट्रान्सप्लांट ही एक मात्र विकल्प था। किडनी सहज रूप से नहीं मिल पा रही थी। मेरा ब्लड ग्रुप ओ-पोजीटिव व पत्नी का एबी पाजीटिव था। इस पर मैंने अपनी पत्नी को किडनी दान दी। इसके तीन माह पहले से ही इलाज शुरू करने के लिए जयपुर अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। नरेन्द्र बताते हैं कि इस पूरी बीमारी में करीब 15 लाख रुपए का खर्चा हुआ। इस पैसे की भी परिवार व रिश्तेदारों से कर्जा लेकर व्यवस्था की। नरेन्द्र की पत्नी गुन्जन गुप्ता ने बताया कि मेेरे पति ने मेरा कभी साथ नहीं छोड़ा। हर समय वे मेरे साथ रहे और हर कष्ट में साथ निभागया। इससे मुझे जिंदगी जीने की वजह मिल गई।