इस तरह के विशेष नवजात का जन्म अत्यंत दुर्लभ स्थिति है। जिसमें से केवल 50,000 में से एक शिशु में ऐसा अद्वितीय स्थिति होती है। आज जन्मे बच्चे में जिस प्रकार की परेशानी है उसे मेडिकल साइन्स की भाषा में सिफलोथरैकोफेगस कहते हैं। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब विकसित होने के दौरान भ्रूण में कोशिकाओं का सही ढंग से विभाजन नहीं हो पाता है। जिसके परिणामस्वरूप ऐसे शिशुओं का जन्म होता है।
इस विशेष प्रसव के मामले में डॉक्टरों ने सीजेरियन का विकल्प चुना। क्योंकि इस प्रकार के प्रसव आमतौर पर प्राकृतिक तरीके से नहीं कराए जा सकते। नवजात ने जन्म के कुछ समय बाद ही दम तोड़ दिया।
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11 , 12 और 13 अक्टूबर को रहेगा सार्वजनिक अवकाश, स्कूल, बैंक और दफ्तर रहेंगे बंद; जानें क्यों? स्थानीय निवासियों में इस विचित्र घटना को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखी जा रही हैं। कुछ लोग इसे एक चमत्कार मान रहे हैं, जबकि अन्य इसके पीछे के विज्ञान और चिकित्सा कारणों को जानने में रुचि रखते हैं। यह घटना न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि चिकित्सा समुदाय में भी चर्चा का विषय बनी हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के मामलों का अध्ययन करने से भ्रूण विकास और अन्य संबंधित स्थितियों को समझने में मदद मिलेगी।
गर्भधारण करने के बाद ही यदि महिला का नियमित स्वास्थ्य परीक्षण कराया जाता तो ऐसी स्थिति को अल्ट्रासउण्ड के माध्यम से पहले ही पहचान कर जानकारी दे दी जाती।- डॉ. योगेश तिवारी, स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ