कुमार संघाकारा ने कहा, “वह न केवल बेहद प्रतिभाशाली है बल्कि वास्तव में कड़ी मेहनत भी करता है। उसने तैयारियों में काफी समय बिताया है, नेट्स में अपनी तैयारियों पर काम करने में काफी समय लगा है। वो हमारे साथ तीन से चार साल तक अपने खेल पर काम किया है और यह दिखाता है कि वह बहुत फोकस्ड हैं नतीजे सामने हैं।”
चेन्नई सुपर किंग बनाम राजस्थान रॉयल के बीच 27 अप्रैल को जयपुर में खेल गए मैच में यशस्वी ने अच्छा प्रदर्शन किया था, जिसके बाद से वो सुर्खियों में आए थे। उन्होंने 43 गेदों में 77 रन की अर्धशतकीय पारी खेली थी। यशस्वी की इस इनिंग के बाद महेंद्र सिंह धोनी ने उनकी जमकर तारीफ की थी।
यशस्वी जयसवाल की कहानी बहुत मार्मिक है। यशस्वी मूल रूप से उत्तर प्रदेश के भदोही जिले के रहने वाले यशस्वी 11 साल की छोटी उम्र में सपनो के शहर मुंबई आ गए थे। यशस्वी बचपन से ही क्रिकेट में रूची रखते थे, इनके मुम्बई आने की भी वजह यही थी। इनके पिता भदोही में ही एक पेंट की दुकान चलाते हैं।
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मैदान के टेंट में गुजारी कई रातेंमुंबई में पिता ने इनके के रहने की व्यवस्था एक जान पहचान के एक तबेले में करवा दिया जहां ये शर्त थी कि यशस्वी को वहां सुबह उठकर तबेले में काम करना पड़ेगा। यशस्वी रोज सुबह 5 बजे उठते और तबेले में मदद कराते फिर प्रैक्टिस करने आज़ाद मैदान जाया करते थे। एक दिन उस तबेले के मालिक ने उनका सारा सामान बाहर फेक दिया था, जहां वह रात में सोते थे, जबकि उन्होंने मुंबई के आजाद मैदान में कई रातें टेंट में बिताई थीं। ऐसा भी कहा जाता है कि उन्होंने खर्च चलाने के लिए पानी-पूरी भी बेची थी।
लेकिन भाग्य को कुछ और मंजूर था। एक वह कोच ज्वाला सिंह मिले उन्हें यशस्वी में कुछ दिखा उन्होंने यशस्वी को नए जूते और किट दिलाए और रहने के लिए अपने चाल में इंतजाम करा दिया। ज्वाला सिंह की भी कहानी कुछ इसी तरह की थी, मगर उन्हें कोई आगे बढ़ाने वाला नहीं मिला। इसलिए उन्होंने यशस्वी को क्रिकेट की कोचिंग देने की ठानी।
जायसवाल ने भारत ICC U-19 विश्व कप 2020 के फाइनल में पहुंचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह छह मैचों में 400 रन बनाने के साथ टूर्नामेंट के टॉप स्कोरर थे। इस टूर्नामेंट में यशस्वी को प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट के खिताब से नवाजा गया था। इसके बाद राजस्थान रॉयल्स ने यशस्वी को 2.40 करोड़ रुपये की बोली लगाकर अपनी टीम में शामिल किया था।