जिन सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संया अधिक है, वहां महीने में औसतन 5 से 7 टैंकर मंगवाने पड़ रहे हैं। इससे स्कूलों में आर्थिक भार भी बढ़ रहा है। साथ ही टैंकर का पानी एक जगह से नहीं आने के कारण कभी-कभी लोराइड युक्त या खारा पानी भी पीना पड़ जाता है।
स्वास्थ्य को बड़ा खतरा
बरसात के मौसम में अनेक संक्रामक बीमारियां केवल पानी की वजह से फैल रही हैं। अगर सरकारी स्कूलों में स्वच्छ पेयजल सप्लाई की जाए तो कई तरह की बीमारियों से बचा जा सकता हैं।
कुंओं-हैंडपंप से भरोसे कई गांव
जवाजा क्षेत्र का राजियावास गांव भले ही शहर से कम दूरी पर है। लेकिन यहां भी पानी की सप्लाई अब तक पूरी तरह नहीं हो सकती हैं। ऐसे में ग्रामीणों को पीना का पानी टैंकरों के जरिए मंगवाना पड़ रहा हैं। वहीं गांव में एक कुंए से भी पानी को पीने के लिए उपयोग लिया जा रहा हैं। ग्रामीणों को लंबे अरसे से पीने का पानी लाइनों के जरिए सीधे घर तक पहुंचने का इंतजार हैं।
फैक्ट फाइल :
150 से ज्यादा सरकारी स्कूल
6 0 हजार से ज्यादा विद्यार्थी
5 टैंकर प्रतिमाह खपत
दुर्गावास स्कूल में हर महीने 5 टैंकर मंगवाने पड़ते हैं। पीने के पानी की अन्य कोई व्यवस्था नहीं हैं। बीसलपुर लाइन से कनेक्शन या बोरिंग की सुविधा प्रदान करनी चाहिए।
-धन्नासिंह रावत, जिलाध्यक्ष राजस्थान राष्ट्रीय शिक्षक संघ ब्यावर
महेन्द्र सिंह सांगेला, कार्यवाहक सीबीईओ जवाजा