खनिज विभाग के अधिकारियों के मुताबिक ग्रेनाइट से सालाना करीब 60 करोड़ रुपए की सरकार को आय हो रही है। पहले पूरा अजमेर जिले के खाते में था, लेकिन अब केक़ड़ी एवं ब्यावर जिले के हिस्से में बंट गया है।
ग्रेनाइट के कारोबार से खदान, लदान एवं माल बेचने के व्यवसाय में करीब डेढ़ लाख लोगों को रोजगार मिल रहा है। हजारों लोग प्रतिदिन खदानों में काम कर रहे हैं। कुछ ट्रेक्टर, ट्रेलर, ट्रकों में माल भरने का काम कर रहे हैं। कुछ माल परिवहन के साथ कुछ ग्रेनाइट बेचने के काम में जुटे हैं। सैकड़ों लोग कटर व गैंगसा मशीनों पर भी ग्रेनाइट काटने आदि के काम में जुटे हैं।
अजमेर : सिलोरा, उदयपुरखुर्द, काचरिया में कई खदानें ग्रेनाइट की हैं। यहां ब्लैक ग्रेनाइट, रिवर प्लेट ग्रेनाइट। केकड़ी : राममालिया में टाइगर ग्रेनाइट, एकलसिंहा, बघेरा में रिवर प्लेट, जूनिया में कंटेसी ब्राउन। सावर में ब्लैक ग्रेनाइट, वहीं भिनाय के आस-पास भी ग्रेनाइट की नई खदानें हैं।