3 साल बाद मंजिल पर पहुंची ट्रेन
इस ट्रेन को अपने गंतव्य तक पहुंचने में मात्र 42 घंटे का समय लगता है। लेकिन, यह ट्रेन घंटे, दिन, हफ्ते या महीने नहीं बल्कि सालों लेट रही। इस ट्रेन को अपने गंतव्य तक पहुंचने में 3 साल से भी ज्यादा का समय लग गया। इस वजह से इसे भारत की सबसे लेट ट्रेन भी कहते हैं।
2014 का है मामला
दरअसल, इस ट्रेन को आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम से उत्तर प्रदेश के बस्ती आना था। यहां तक आने में इस ट्रेन को 3 साल और 8 महीने का समय लग गया। यह मामला साल 2014 का है। यह ट्रेन कोई पैसेंजर ट्रेन नहीं बल्कि एक मालगाड़ी है। 2018 में मंजिल पर पहुंची ट्रेन
2014 में आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम से उत्तर प्रदेश के बस्ती के व्यापारी रामचंद्र गुप्ता ने इंडियन पोटाश लिमिटेड से 14 लाख रुपये मूल्य की 1,316 डीएपी खाद की बोरियां मंगवाईं। 10 नवंबर 2014 को मालगाड़ी रवाना हुई, लेकिन बस्ती पहुंचने में उसे 3 साल, 8 महीने और 7 दिन लगे, यानी 25 जुलाई 2018 को वह अपने गंतव्य पर पहुंची। खाद की बोरियां की देरी की वजह से खराब हो गई थीं।