scriptराममंदिर : 31 साल बाद भी यादें हैं ताजा, 101 कार्यकर्ता पहुंचे थे अयोध्या, पढ़ें पूरी खबर | Story To Ram Temple, Memories Are Fresh Even After 31 Years, 101 Workers Had Reached Ayodhya | Patrika News
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राममंदिर : 31 साल बाद भी यादें हैं ताजा, 101 कार्यकर्ता पहुंचे थे अयोध्या, पढ़ें पूरी खबर

देश में इन दिनों जहां राममंदिर निर्माण को लेकर लोगों में उत्साह है वहीं वर्ष 1992 में 6 दिसंबर के दिन अयोध्या पहुंचे कार्यकर्ताओं की घटना के 31 साल बाद भी यादें ताजा हैं। उस समय चंदलाई व उसके आसपास गांवों से 101 कार्यकर्ता अयोध्या पहुंचे थे।

बस्सीJan 02, 2024 / 01:13 pm

Nupur Sharma

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जयराम शर्मा
देश में इन दिनों जहां राममंदिर निर्माण को लेकर लोगों में उत्साह है वहीं वर्ष 1992 में 6 दिसंबर के दिन अयोध्या पहुंचे कार्यकर्ताओं की घटना के 31 साल बाद भी यादें ताजा हैं। उस समय चंदलाई व उसके आसपास गांवों से 101 कार्यकर्ता अयोध्या पहुंचे थे। ग्राम पंचायत चंदलाई निवासी लल्लूराम पंचोली पुरानी यादें ताजा करते हुए बताते हैं कि 6 दिसंबर का दिन उनके जहन में आज भी ताजा है। जैसे ही दिसंबर आता है अयोध्या जाने व उस दौरान हुए घटनाक्रम की स्मृतियां पुनर्जीवित हो जाती हैं।

124 किमी पैदल चलकर अयोध्या पहुंचे थे: चंदलाई व उसके आसपास के क्षेत्र से अयोध्या गए लल्लूराम पंचोली, हेमसिंह राठौड़ ने बताया कि 101 कार्यकर्ताओं के साथ उत्तरप्रदेश के गोंडा स्टेशन से पैदल 124 किमी चलकर अयोध्या पहुंचे थे।

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10 हजार से अधिक कार्यकर्ताओं ने दी थी गिरफ्तारी
10 हजार कार्यकर्ताओं के साथ यहां से गए कार्यकर्ताओं को भी गिरफ्तार कर लिया गया था। उस समय अयोध्या का नजारा ही कुछ और था। पूरे भारतवर्ष से आए कार्यकर्ताओं ने अयोध्या व आस-पास का क्षेत्र अटा पड़ा था। अयोध्या में ये लोग धर्मशाला में ठहरे थे। वहां से वापस आने पर कई मंत्रियों व संघ पदाधिकारियों ने उनका गांधीनगर रेलवे स्टेशन पर भव्य स्वागत किया था। कार्यकर्ताओं ने बताया कि उस समय रामलला के लिए लोगों का उत्साह इस कदर था कि काम धंधे छोड़कर अयोध्या पहुंचे थे।

उत्साह का माहौल था
पंचोली ने बताया कि अयोध्या में अत्यधिक उत्साह का माहौल था। अनुमानित संख्या से कई गुना अधिक लोग पहुंचे थे। 6 दिसंबर को भीड़ अनियंत्रित हो गई थी। वे बताते हैं कि उन्हें रामलला व उनके सिंहासन की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई थी। उस दौरान गुम्बद के टूटने के दौरान जब ईंटें नीचे गिरने लगी तब रामलला के सिंहासन को उठाकर कथा कुंज ले गए थे। 4:10 मिनट पर घटनाक्रम हुआ। उसके बाद उसी दिन कथा कुंज से रामलला और सिंहासन को वापस उठाकर उन्हें इस स्थान पर स्थापित कर दिया गया।

गुमानमल लोढा ने बताया कि उस समय कई बड़े नेता माइक से शांति बनाए रखने का अनाउंस कर रहे थे, लेकिन कार्यकर्ता नहीं माने। अब मंदिर निर्माण से मन प्रसन्न है, लेकिन जो साथी जीवित नहीं हैं वे यह दृश्य नहीं देख पाएंगे, इसका दुख: भी है।

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