scriptघटते जलस्तर से खेत हो रहे वीरान, किसान हो रहे बेरोजगार | Farms becoming deserted due to falling water level | Patrika News
बस्सी

घटते जलस्तर से खेत हो रहे वीरान, किसान हो रहे बेरोजगार

जलस्तर 400 से 1300 फीट गहरा पहुंचा

बस्सीDec 07, 2023 / 05:22 pm

vinod sharma

घटते जलस्तर से खेत हो रहे वीरान, किसान हो रहे बेरोजगार

घटते जलस्तर से खेत हो रहे वीरान, किसान हो रहे बेरोजगार

जयपुर ग्रामीण के चौमूं उपखंड में भूजल स्तर गहराने के कारण आमजन को पेयजल किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। वहीं खेतों में सिंचाई के लिए पानी नहीं होने के कारण खेत वीरान होने के साथ खेती किसानी से जुड़े किसान बेरोजगार हो रहे हैं। कृषि कार्य बारिश पर आधारित होने के कारण किसान एक ही फसल लेने से आर्थिक रूप से कमजोर हो रहे हैं। खरीफ की फसल भी बारिश सही समय पर व पर्याप्त मात्रा में नहीं होने पर किसानों को फसल का मुनाफा नहीं मिल रहा है। जबकि पानी की कमी के कारण अधिकांश खेतों में रबी की फसल की बुवाई नहीं हो रही है। ऐसे में खेतों में बारिश आधारित फसल होने से खेत उजाड़ हो रहे हैं। जानकारी अनुसार उपखंड क्षेत्र में कृषि मुख्य व्यवसाय है। उपखंड क्षेत्र में लगातार गिर रहे जलस्तर के कारण पानी की कमी हो गई है। अधिकांश गांवों में वर्तमान में जलस्तर 400 से 1300 फीट गहराई तक पहुंच गया है। पाताल तोड़ बोरवेल करवाने के बाद मिल रहे पानी में फ्लोराइडयुक्त व खारा होने से खेत बंजर हो रहे हैं। ऐसे में रबी की बुवाई का रकबा घटने के साथ ही अधिकांश खेत वीरान नजर आ रहे हैं।
घटते जलस्तर से खेत हो रहे वीरान, किसान हो रहे बेरोजगार
इन गांवों में बढ़ी समस्या….
भू जलस्तर गिरने से गोविन्दगढ़, मलिकपुर, सीतारामपुरा, आलिसर, हस्तेड़ा, आष्टी, सांदरसर, बागड़ों का बास, किशनमानपुर, बागावास, मंडा भिंडा, गुढ़ासुर्जन, जालसू, नौपुरा, बलेखण, धोबलाई, चिमनपुरा, सिंगोद, ढोढ़सर, गुढ़लिया, खेजरोली, इटावा भोपजी, उदयपुरिया, सामोद, टांकरडा, कालाडेरा, घिनोई सहित अन्य गांवों में वर्ष में एक बार बारिश आधारित फसल का उत्पादन हो रहा है। यदि रबी की फसल बुवाई के समय बारिश हो जाएं तो तारामीरा व पिली सरसों की बुवाई कर देते हैं अन्यथा खेत खाली ही पड़े रहते हैं।
छोटे खेत के कारण नहीं बना रहे फार्म पॉण्ड….
उपखंड क्षेत्र में अधिकतर किसान लघु व सीमांत की श्रेणी में आते हैं। ऐसे में किसानों के पास खेत छोटे होने के कारण सरकार द्वारा सब्सिडी देने के बाद भी किसान फार्म पॉण्ड को लेकर विशेष रुचि नहीं दिख रहे हैं। हालांकि बड़े किसान वर्षा जल संग्रहण के लिए फॉर्म पॉण्ड बना रहे हैं। छोटे किसानों की माने तो पांच बीघा का खेत होने पर फार्म पॉण्ड के लिए एक से डेढ़ बीघा खेत चाहिए। शेष खेत और छोटा हो जाता है।
घटते जलस्तर से खेत हो रहे वीरान, किसान हो रहे बेरोजगार
इनका कहना है…
भूजल स्तर गिरने के कारण किसान बारिश पर आधारित फसल बुवाई कर रहे हैं। भूजल स्तर गहराने से रबि की बुवाई का रकबा घट रहा है। किसानों को फॉर्म पॉण्ड, कम पानी वाली फसलों एवं आधुनिक तकनीक के द्वारा सिंचाई के लिए जागरूक किया जा रहा है।
लक्ष्मी यादव, सहायक निदेशक कृषि विस्तार झोटवाड़ा
भूजल स्तर गिरने से बारिश के दिनों में बाजरा व ग्वार की फसल की बुवाई कर रहे हैं। गेहूं जौ की बुवाई नहीं कर रहे हैं। वर्तमान में खेत खाली पड़े हैं।
मोहनलाल यादव, किसान गुढ़ासुर्जन
800 फिट गहराई के बाद पीने के पानी की व्यवस्था हो रही है। फसल बुवाई के लिए पानी नहीं है। बाजरे की फसल बुवाई करते हैं। नवंबर में बारिश हो जाए तो तारामीरा बो देते हैं।
बंशी डागर, किसान खन्नीपुरा
खेत छोटा होने के का फार्म पॉण्ड नहीं बनवाया। ऐसे में बारिश के दिनों में बाजरा व ग्वार की बुवाई करते हैं। वर्तमान में खेत खाली पड़े हैं।
मुरलीधर खोल्डया, किसान सांदरसर

Hindi News / Bassi / घटते जलस्तर से खेत हो रहे वीरान, किसान हो रहे बेरोजगार

ट्रेंडिंग वीडियो