भू जलस्तर गिरने से गोविन्दगढ़, मलिकपुर, सीतारामपुरा, आलिसर, हस्तेड़ा, आष्टी, सांदरसर, बागड़ों का बास, किशनमानपुर, बागावास, मंडा भिंडा, गुढ़ासुर्जन, जालसू, नौपुरा, बलेखण, धोबलाई, चिमनपुरा, सिंगोद, ढोढ़सर, गुढ़लिया, खेजरोली, इटावा भोपजी, उदयपुरिया, सामोद, टांकरडा, कालाडेरा, घिनोई सहित अन्य गांवों में वर्ष में एक बार बारिश आधारित फसल का उत्पादन हो रहा है। यदि रबी की फसल बुवाई के समय बारिश हो जाएं तो तारामीरा व पिली सरसों की बुवाई कर देते हैं अन्यथा खेत खाली ही पड़े रहते हैं।
उपखंड क्षेत्र में अधिकतर किसान लघु व सीमांत की श्रेणी में आते हैं। ऐसे में किसानों के पास खेत छोटे होने के कारण सरकार द्वारा सब्सिडी देने के बाद भी किसान फार्म पॉण्ड को लेकर विशेष रुचि नहीं दिख रहे हैं। हालांकि बड़े किसान वर्षा जल संग्रहण के लिए फॉर्म पॉण्ड बना रहे हैं। छोटे किसानों की माने तो पांच बीघा का खेत होने पर फार्म पॉण्ड के लिए एक से डेढ़ बीघा खेत चाहिए। शेष खेत और छोटा हो जाता है।
भूजल स्तर गिरने के कारण किसान बारिश पर आधारित फसल बुवाई कर रहे हैं। भूजल स्तर गहराने से रबि की बुवाई का रकबा घट रहा है। किसानों को फॉर्म पॉण्ड, कम पानी वाली फसलों एवं आधुनिक तकनीक के द्वारा सिंचाई के लिए जागरूक किया जा रहा है।
लक्ष्मी यादव, सहायक निदेशक कृषि विस्तार झोटवाड़ा
मोहनलाल यादव, किसान गुढ़ासुर्जन
बंशी डागर, किसान खन्नीपुरा
मुरलीधर खोल्डया, किसान सांदरसर