विशेष बात यह है कि इस स्कूल में एक माह का सर्टिफिकेट कोर्स तैयार किया है, जिसमें अयोध्या के पौराणिक, भौगोलिक, ऐतिहासिक एवं वैज्ञानिक महत्व को समझाया जाएगा। इसके साथ विद्यार्थियों को अयोध्या जन्मभूमि के इतिहास के बारे में भी पढ़ाया जाएगा। साथ ही मंदिर निर्माण के लिए नींव की पत्थर बनी महान विभूतियों के जीवन के बारे में अवगत करवाया जाएगा।
अयोध्या रामलला मंदिर: क्या भक्त, क्या भगवान सभी के चरण संभालेगा राजस्थान
नि:शुल्क कर सकेंगे पढ़ाई: इस नि:शुल्क कोर्स के लिए 4 जनवरी से पंजीयन शुरू किया गया है। पहले ही दिन करीब 250 से अधिक आवेदन मिले हैं। जिसकी अंतिम तिथि 17 जनवरी है। 20 जनवरी से 20 फरवरी तक कोर्स संचालित होगा।
अयोध्या में पहली बार फ्लाइट उड़ाने वाले कैप्टन निखिल बक्शी भी कोर्स में शामिल होंगे। इनके अलावा कई प्रोफेसर सहित कई लोग कोर्स का हिस्सा बनेंगे। ये कोर्स नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आधारित है।
रामत्व को नए संदर्भों में देखेंगे
स्कूल ऑफ राम के संयोजक प्रिंस तिवाड़ी ने बताया कि अयोध्या समूची भारतीय चेतना की प्रतिनिधि हैं। अयोध्या अनादिकाल से भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का नाभिकीय केंद्र रही है। और राम जिस शील, विनय और मर्यादा के लिए जाने जाते हैं, अयोध्या उसका बीज केंद्र है। इस कोर्स में रामत्व और अयोध्या के पौराणिक एवं आधुनिक स्वरूप की विराटता तो नए संदर्भों में देखेंगे। यह ऑनलाइन कोर्स 20 जनवरी से शुरू होगा। जिसमें कोई भी व्यक्ति नि:शुल्क हिस्सा बन सकता है।
स्कूल ऑफ राम भगवान श्रीराम के जीवन पर शुरू हुआ पहला वर्चुअल विद्यालय है। जिसकी शुरुआत मार्च 2021 में की गई थी। आज देश-विदेश से रामायण में रुचि रखने वाले करीब 3 हजार से अधिक रामभक्त इस विद्यालय से जुड़कर भगवान राम के जीवन से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर अध्ययन कर रहे हैं। स्कूल ऑफ राम का उद्देश्य भगवान श्रीराम के आदर्शों एवं रामायण के संस्कारों को अभिनव तरीकों से जन-जन तक लेकर जाना है।