दुर्घटना व बीमारी के दौरान मरीजों को प्राथमिक उपचार देकर जान बचाने वाले 108 एम्बुलेंस वाहन (108 Ambulance) की नेशनल हाइवे पर बस्सी-दौसा के बीच संख्या बढ़ाने की दरकार है। 65369 हैक्टेयर क्षेत्रफल में फैले (210 villages per 5 Ambulance) 210 राजस्व गांव वाला बस्सी ब्लॉक तो मात्र 05 एम्बुलेंस के भरोसे है। इनमें तीन 108 और दो 104 जननी एम्बुलेंस (104 Ambulance) हैं। यानी 3 सीएचसी और 6 पीएचसी के अलावा सड़क पर होने वाली दुर्घटनाओं को देखते हुए ये नाकाफी हैं। इस पर जिम्मेदारों की मरीजों को एम्बुलेंस सुविधा देने वाली प्राथमिकता में भी ‘मनमानापन’ शामिल है।
बस्सी ब्लॉक में 108 एम्बुलेंस की संख्या 3 है। इनमें से एक कानोता, एक तूंगा और एक बस्सी थाने के आसपास रहती है। इनके अलावा दो वाहन जननी 104 हैं। इनमें एक जननी एम्बुलेंस (Ambulance) बड़वा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और एक बस्सी के राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र परिसर में रहती है। अब इन पर उपलब्ध स्टाफ पर नजर डालें, तो एक 108 एम्बुलेंस पर चार का स्टाफ रहता है। इनमें से दो पायलट (चालक) और दो ईएमटी हैं। यानी तीन पर कुल 12 चिकित्साकर्मी रहते हैं। वहीं दो जननी पर कुल 4 का स्टाफ है। इनमें दो पायलट और दो ईएमटी हैं।
राजमार्ग पर दुर्घटनाओं की संख्या कम नहीं है। (jaipur Bassi road) ऐसे में बस्सी और कानोता थाना पॉइंट पर खड़ी दोनों 108 एम्बुलेंस जयपुर-आगरा राजमार्ग सहित आसपास के प्रमुख सड़क मार्गों के गांव-ढाणियों को कवर करती हैं। मगर वास्तविकता ये है कि यहां बस्सी से दौसा सड़क मार्ग पर भी अत्याधुनिक एम्बुलेंस की दरकार है। इसे जटवाड़ा चौकी पर खड़ा किया जाए तो यहां भी तत्काल एम्बुलेंस (Ambulance) की सुविधा उपलब्ध हो सकेगी।
अब इन एम्बुलेंस पर काम का लोड देखें, तो वो भी कम नहीं है। बस्सी और कानोता 108 एम्बुलेंस (Ambulance) औसतन प्रतिदिन चार से पांच केस संभालती हैं। एम्बुलेंसकमियों का कहना है कि राजमार्ग से लगते ब्लॉक में घटना-दुर्घटनाओं की संख्या अधिक रहती है। त्योहारी सीजन या मौसम बीमारियों के बढऩे पर तो मरीजों को लाने-ले जाने के केस काफी हो जाते हैं। ड्यूटी पर रहने के दौरान ठीक से बैठने-उठने तक की समुचित व्यवस्था नहीं है। इसके चलते ड्यूटी ऑफ करने वाले कर्मचारियों को ठीक से नींद भी नसीब नहीं हो पाती। यहां कानोता और तूंंगा पुलिस ने तो अपने पास मौजूद रहने वाली एम्बुलेंसकर्मियों (Ambulance) को रुकने की जगह दे रखी है लेकिन बस्सी में ऐसी व्यवस्था नहीं है।
जानकारी के अनुसार सीएचसी से जयपुर रैफर होने वाले केस घटें, तो एम्बुलेंस का लोड कम हो जाए। (Ambulance) खुद मरीजों और कर्मचारियों का कहना है कि देर शाम या रात को आने वाले अधिकांश मरीजों को तो सीधे जयपुर जिला अस्पताल रैफर किया जाता है। इससे एम्बुलेंस पर अनावश्यक कार्य का लोड रहता है।