ऊपर से समय पर राशि नहीं चुकाने पर ब्याज भी देना पड़ रहा है। स्थिति यह है कि समूहों से जुड़ी महिलाएं थोड़ा बहुत जो कमा रही है उसकी आधी रकम तो ब्याज में ही जा रही है।
करीब पैंतीस करोड़ की देनदारी स्वयंसेवी समूह पर बकाया हो चुकी है जिसको चुकाना उनके लिए परेशान बन गया है।आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पांच साल से कम उम्र के बच्चों, धात्री व गर्भवती महिलाओं को गर्म पोषाहार व बेबी मिक्स दिया जाता था। इसका वितरण स्वयंसेवी समूहों के मार्फत होता था, जिससे महिलाएं जुड़ी हुई थी।
इन समूह को सरकार की ओर से तय दर के अनुसार बेबी मिक्स व गर्म पोषाहार देना होता था, जिसमें लाभ की राशि महिलाएं आपस में बांटती थी। लम्बे समय तक यह व्यवस्था रही जिसके बाद मार्च २०२० में कोरोना आया तो आंगनबाड़ी केन्द्र बंद हो गए। केन्द्र बंद हुए तो बेबी मिक्स वितरण व गर्म पोषाहार भी बंद हो गया। सरकार ने कुछ माह आंगनबाड़ी केन्द शुरू किए और बच्चों व महिलाओं को सीधे सूखा पोषाहार दिया जाने लगा।
इस पर स्वयंसेवी संस्थाओं का काम बंद हो गया। इधर २०१९-२० में गर्म पोषाहार व बेबी मिक्स का बकाया भुगतान भी समूहों का अटक गया। अप्रेल १९ से लेकर मार्च २० के बीच का भुगतान लम्बे समय से अटकने पर उधारी लेकर काम चलने वाले समूहों की स्थिति बिगड़ गई। लाखों की उधारी चुकाना मुश्किल हो गया। उधारी मांगने वाले घरों के चक्कर काटने लगे एक-दो माह का कहकर काम चलाया लेकिन समय ज्यादा होने पर वे अब ब्याज ले रहे हैं। जिसे चुकाना समूह से जुड़ी महिलाओं के लिए भारी पड़ रहा है।
लाखों की उधारी, चुकाना पड़ रहा भारी- गौरतलब है कि जिले में १७९७ स्वयंसहायता समूह हैं जो ३०४४ आंगनबाड़ी केन्द्रों व ४२७ मिनी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर बेबी मिक्स और गर्म पोषाहार की व्यवस्था करते थे। महिलाओं को ९३० ग्राम और बच्चों को ७५० ग्राम बेबी मिक्स व पोषाहार देना होता था जिसके बदल में उनको क्रमश: ५५ व ४५ रुपए का भुगतान होता था। बाजार से तय नोम्र्स के अनुसार सामग्री लाकर बेबी मिक्स व पोषाहार देने पर पांच-सात रुपए का फायदा मिलता था। इसके चलते महिलाओं को रोजगार मिल रहा था, लेकिन अब पोषाहार व बेबी मिक्स बंद होने पर लाभ तो मिल नहीं रहा उल्टे उधारी चुकाने में भी ब्याज की राशि अपनी कमाई से देनी पड़ रही है। उधारी पड़ रही भारी- हर माह औसतन दस हजार रुपए प्रति आंगनबाड़ी बेबी मिक्स, गर्म पोषाहार पर खर्च होते थे।
हमारे समूह में तीन-चार केन्द्र है जिस पर हर माह पचास हजार का खर्चा हो जाता था। नौ माह का बकाया करीब पौने पांच लाख रुपए है जिसे चुकाना भारी पड़ रहा है। ब्याज पर रुपए लेकर साहूकारी रख रहे हैं, शीघ्र राशि मिले तो लाभ तो छोड़ उधारी तो चुक जाए।- सायरकंवर, सदस्य स्वयंसहायता समूह
प्रस्ताव भिजवाया हुआ- 2019 में 9 माह का बजट बकाया है, जिसको लेकर कई बार निदेशालय प्रस्ताव भेजे हैं। अभी तक बजट जारी नहीं आया है। आते ही शीघ्र भुगतान किया जाएगा।– घेवर राठौड़, सीडीपीओ सिणधरी
बजट नहीं मिला- लम्बे समय से बजट बकाया है। प्रस्ताव बना कर भेजा हुआ है। आने पर भुगतान की व्यवस्था की जाएगी।- अनवरखां, सुपरवाइजर शिव