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Barmer News: पाकिस्तान से भारत आए हिंदुओं ने सुनाई ऐसी दर्दभरी कहानी, कहीं हत्या तो कहीं धर्म बदलने का बढ़ रहा दबाव

Pakistani Refugees in Barmer: 1947 से अब तक एक लाख से ज्यादा पाक विस्थापित बाड़मेर आकर बसे, भारत में मिल रही है इनको नागरिकता

बाड़मेरJan 23, 2025 / 08:41 am

Rakesh Mishra

बाड़मेर शहर के रातानाडा स्थित शरणार्थी बस्ती।

भारत के संविधान की उदारता और विशाल हृदयता की सबसे बड़ी मिसाल पश्चिम का बाड़मेर जिला है। इस जिले के एकतरफ पाकिस्तान है जहां से रोज यह समाचार आ रहे हैं कि उनके किसी जानकार को धर्म बदलने को मजबूर कर दिया गया। वहीं इधर भारत में उनके ही रिश्तेदार पाकिस्तान से आ रहे हैं। 1947 से लगातार यह सिलसिल जारी है। 1947 के बाद आज तक एक लाख के करीब ऐसे लोगों को बाड़मेर में भारत की नागरिकता देकर भारतीय बना दिया है।
भारत और पाकिस्तान 14 अगस्त 1947 से पहले एक ही थे। 14 अगस्त को 1947 को पाकिस्तान आजाद हुआ और 15 अगस्त 1947 को भारत। 26 जनवरी 1949 को भारत का संविधान बना तो भारत ने जन-गण-मन का ध्यान रखा। संविधान निर्माण के 75 साल बाद आज जब दोनों देशों में बसे लोग फर्क करने जाते हैं तो वे कहते है कि भारत का संविधान उन्हें आजादी की जिंदगी दे रहा है और पाकिस्तान लोकतांत्रिक मूल्यों के ठीक विपरीत है।

पाकिस्तान में बदला जा रहा है धर्म

पाकिस्तान में अब केवल 2 प्रतिशत से भी कम हिन्दू बचे हैं। अल्पसंख्यक में हिन्दू, ईसाई और सिख हैं। इन पर अत्याचार बहुत बढ़ गया है। मानवाधिकार की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2024 में पाकिस्तान में 112 अत्याचार के मामले सामने आए हैं, जबकि एक अन्य रिपोर्ट में वर्ष 2018 से 2024 के बीच में 5000 के करीब हिन्दू युवतियों के अपहरण व जबरन निकाह की घटनाएं बताई गई हैं। धर्मांतरण का दबाव बढ़ने का नतीजा है कि अब हिन्दू केवल 2 फीसदी ही रहे हैं।

इधर मिल रही है नागरिकता

जानकारी अनुसार एक लाख से अधिक पाक विस्थापित परिवार 1947 के बाद में भारत आ चुके हैं। 66000 के करीब 1947 में आए थे। 1965 और 1971 के भारत पाक युद्ध के बाद 33000 के करीब आए। इसके बाद भी लगातार पाक विस्थापित भारत आए। वीजा पर आने के बाद यहीं रहे। भारत यहां इनको लगातार सात साल की अवधि तक भारत में रहने के बाद भारतीय नागरिकता दी जा रही है। ये यहां आराम से जिंदगी बसर कर रहे हैं।
भारत में सकून है
भारत में बेहद सकून है। हमारी पूरी शरणार्थी बस्ती यहां बसी हुई है। हम 1971 में आ गए थे। सारे परिवारों को नागरिकता मिल गई है। अब यहां सकून से रहते हैं। कोई चिंता नहीं है। उधर, पाकिस्तान में हमारे रिश्तेदार हैं। वो परेशान रहते हैं। उन्हें आज भी चिंता है कि पता नहीं कल क्या होगा।
  • घनश्याम दास माली, पाक विस्थापित
वहां रहना मुश्किल है
हमारा परिवार पाकिस्तान से बड़ी मुश्किल से निकलकर आया। वहां परिवार के एक सदस्य की हत्या कर दी गई। कोई सुनवाई नहीं हो रही थी। हम लोगों ने अपने घर में यह माहौल देखा। इसके बाद भारत आ गए। यहां रिश्तेदारों के यहां रहे। अब हमें नागरिकता मिल गई है। भारत के संविधान को हम नमन करते हैं।
  • विजयकुमार, पाक विस्थापित
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लोग आना चाहते हैं
पाकिस्तान जाकर बसने का कहिए तो एक भी व्यक्ति नहीं जाना चाहता है। पाकिस्तान में एक दिन के लिए भी थार एक्सप्रेस का मार्ग खोलकर कह दिया जाए कि भारत चले जाओ तो सच मानिए, अधिकांश हिन्दू-मुसलमान यहां बसने आ जाएंगे। यहां लोकतांत्रिक जीवन है और वहां अब संकटमय हो गया है।
  • डॉ. बाबूदान चारण, अध्यक्ष ढाटपारकर सोसायटी
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